महासमुन्द

स्कूल में पथरीली चट्टान पर उगाए 200 प्रजाती के पौधे
27-Nov-2022 3:09 PM
स्कूल में पथरीली चट्टान पर उगाए 200 प्रजाती के पौधे

विद्यार्थियों को परिचित कराने शिक्षक ने किया पौधा रोपण-रामकुमार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सरायपाली, 27 नवंबर।
शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल किसड़ी, ब्लॉक हायर सेकेंडरी स्कूल में, पढ़ाई के साथ-साथ विद्यालय परिसर की साफ-सफाई व बागवानी पर विशेष ध्यान दी जा रही है।
जहां बागवानी के लिए स्कूल परिसर की जमीन उपयुक्त नहीं है, बावजूद शिक्षकों व बच्चों कि इच्छा शक्ति व लगन से चट्टान में भी बागवानी करके दिखाया जो एक बहुत बड़ी चुनौती थी और पूरे ब्लॉक के अन्य स्कूलों के लिए भी प्रेरणा दायक है।   शिक्षक व बच्चों में प्रकृति प्रेम इतना हैं कि उन्होंने घर के अलावा स्कूल में ही विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपण कर गार्डन का रूप दे दिया है, स्कूल पहुंचते ही ऐसा लगता है मानो किसी गार्डन में पहुंच गया हूं ।
ऐसे माहौल में विद्यार्थियों का पढ़ाई किस तरह से होता होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, जितने प्रजातियों के पौधों का रोपण किया गया है विज्ञान विषय के कक्षा 11वीं 12वीं के विद्यार्थियों के लिए पुस्तक ज्ञान के अलावा प्रैक्टिकल ज्ञान में काफी कारगर साबित होगा।

लेकिन दुख की बात स्वीकृत विज्ञान के 2 शिक्षक में से दोनों पद रिक्त हैं, जिससे विद्यार्थियों की विज्ञान की पढ़ाई पूरी तरह से चरमरा गई है। शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल किसड़ी के बागवानी प्रभारी व्याख्याता शिक्षक शंकर्षण पटेल ने बताया कि स्कूल परिसर में भारत भर के विभिन्न प्रांतों से लाकर कई ऐसे पौधों का रोपण किया गया है।

जो पूरे भारत में किसी एक निश्चित राज्य में ही उपलब्ध है अन्य राज्य में पौधे देखने को नहीं मिलेगा, शिक्षकों के द्वारा उसे हमर बगिया बागवानी का नाम दिया गया है।
जहाँ सुगंधित फूल, औषधीय पौधे, फलदार, ड्राई फ्ु्रट पौधों का रोपण किया गया है जो बर्बस ही अपनी ओर सभी पौधे स्कूल परिसर घुसते ही आकर्षित करते हैं।   पौधों को पहचानने सभी पौधों में तख्ती भी तांगी गई है, लेकिन बागवानी प्रभारी पौधों कि पत्ती देख कर ही पौधों की पहचान कर लेते हैं और उन्हें परिसर में लगे सभी पौधों की उपयोगिता की जानकारी हैं ।

जो मौखिक तौर पर फूल, फल, लगने का समय, लगाए गए पौधों का स्थान आदि बता देते हैं, स्कूल परिसर में लगभग 200 प्रजाति के 2,000 से अधिक पौधों का रोपण किया गया है।
शिक्षकों व विद्यार्थियों की मेहनत इच्छा शक्ति के सामने स्कूल परिसर का जमीन भी पौधरोपण के लिए अब कम पडऩे लगा है, लगभग 2 एकड़ में ही घेराव है जिसमें सभी ओर पौधों का रोपण हो चुका है जबकि स्कूल के लिए लगभग 12 एकड़ जमीन आरक्षित है जहां घेराव के अभाव में केवल अनुपयोगी है।

स्कूल परिसर में लगे पौधों की जानकारी देते हुए स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र भोई व बागवानी प्रभारी एस एस पटेल ने बताया कि परिसर में काली हल्दी लगाई गई।
 जो दिखने में काला तोडऩे में नीला रंग मोच के लिए रामबाण औषधि, लहसुन पत्रक पत्ते में लहसुन जैसे स्वाद, नीलकमल, ब्रह्म कमल, अखरोट जो केवल जम्मू कश्मीर में ही पाए जाते हैं।  पत्थरचट्टा जो पत्ते से पौधों का निर्माण होता है और पथरी बीमारी के लिए उपयोग में लाया जाता है, खाने के पान में डालने वाला चेरी, सर्पगंधा जो बिच्छू के डंश मारने वाले स्थान पर लगाने से जहर खत्म हो जाता है।
 इंसुलिन का पौधा शुगर कंट्रोल के लिए कारगार, स्नेक प्लांट ऑक्सीजन के लिए, परिजात जो रात में खिलता है दिन में झड़ जाता है गिरे हुए फूल को भगवान में चढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
 इलायची फुल आएगा फल नहीं आएगा, मधु कामिनी खुशबूदार फूल, मजनु-लैला पौधा पत्ती दो कलर में, लाल चंदन जो दक्षिण भारत में पाया जाता है, तीन मुखी रुद्राक्ष, लौंग फल नहीं आएगा पत्ती से लौंग का स्वाद, विधारा पौधा इंफेक्शन से घाव, गांठ, शुगर के घाव में शर्तिया इलाज, स्वर्ण चंपा खुशबूदार पौधा जिसके फूल सूखने पर भी खुशबू आता है इससे अगरबत्ती मनाया जाता है।

सुगंधित फूलों की खुशबू व पौधों से स्कूल परिसर बन गया है गार्डन*
स्कूल परिसर में लगे विभिन्न प्रकार के फूलों वह उसकी भीनी-भीनी खुशबू व कई तरह के लगाए गए पौधे को गार्डन से परिभाषित करना अतिशयोक्ति नहीं होगा।
सामान्य पौधों के अलावा स्कूल परिसर में आयल पाम्प, चांगरी घास जिसका उपयोग पायरिया के लिए किया जाता है, ग्राफ्टिंग युक्त गुड़हल फूल जिसमें एक पौधा में सात अलग-अलग कलर के फूल खिलते हैं।
 सल्फी जो बस्तर में बीयर वृक्ष के नाम से प्रसिद्ध है जिसका तांडी बनाते हैं और मादक पदार्थ के रूप में इसके रस का लोग सेवन करते हैं, एक्जोरा, काजू, बादाम, चंदन, कुंभी इसका खासियत है इससे बक्कल बनाया जाता है जिसे लंगोट के रूप में कुनपाटिया लोग उपयोग करते हैं, ब्रह्म यास्तिका औषधीय पौधा है, बाटर पाम, कम दिनों में फलने वाला मल्लिका आम,स्थल कमल,मदार सफेद, लाल,पीला, क्रीम फूल खिलने वाला,मेहदीहेज, रीठा,कचनार, नाशपाती, आंवला, हरिचंपा, स्टार फ््रुट, लाल केकती, कागज फूल, लीची, बेला, क्रिसमस ट्री, अर्जुन पौधा, अमलतास, लिली, मिठाई इमली, नारियल, सुपारी, ड्रेगन फ्ु्रट, सुगर बादाम, देवनाशन, भुईनीम, अनानास ब्राम्ही, सतावर, बेहरा, गुड़मार, सम्मी, स्नेक प्लॉट, तुलसी, श्यामा तुलसी, एलीफेन, एप्पल, रामफल, गिलोय, मौलश्री, अपराजीता, सुदर्शन जिसके पत्ती का रस कान दर्द के लिए उपयोग किया जाता है,

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news