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बस्तर की कला का कारवां महासमुंद से गुजरते हुए दिल्ली तक जाएगा
27-Nov-2022 3:59 PM
बस्तर की कला का कारवां महासमुंद से गुजरते हुए दिल्ली तक जाएगा

महासमुंद के बच्चों ने सीखा बस्तर आर्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 27 नवंबर।
भारतीय सांस्कृतिक निधि इन्टैक विरासत शिक्षा और संचार सेवा प्रभाग, नई दिल्ली एवं महासमुंद अध्याय के संयुक्त तत्वावधान में स्कूली विद्यार्थियों के लिये लुप्तप्राय, पारंपरिक, विशिष्ट, शिल्प, कला कार्यशाला कल समाप्त हुई। स्थानीय भलेसर मार्ग स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सभागार में इस कार्यशाला में शहर के कई स्कूलों के बच्चों ने सहभागिता निभाई। इन बच्चों में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त बच्चों का चयन कर उन्हें राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर तक भेजा जाएगा।

कल समापन अवसर पर विशेष अतिथि सोमा चन्द्राकर ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से बच्चे बस्तर चित्रकारी से परिचित होंगे। ऐसे आयोजनों से अपनी भाषा-संस्कृति के सरंक्षण व संवर्धन के प्रति इनमें अच्छी समझ विकसित होगी। शुभारंभ के पहले छत्तीसगढ़ राज्यगीत की संगीतमय प्रस्तुति सरस्वती शिशु मंदिर  विद्यालय परिवार ने दी।

संयोजक दाऊलाल चन्द्राकर ने इन्टैक की गतिविधियों की सविस्तार जानकारी दी। इस कार्यशाला में स्थानीय 9 विद्यालयों के  7 वीं से 9 वीं कक्षा तक के 67 प्रतिभागी विद्यार्थियों को बांस की चटाई पर भित्ती चित्र व बस्तर कलाकृति विशेषकर चेहरे की कलाकृति की पेंटिंग बनाने की कला का प्रशिक्षण बस्तरिहा आर्ट के कुशल चितेरे अरुण हालदार ने दिया।

कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों ने ए.3 साईज ड्राईंग पेपर पर रंगों के माध्यम से बस्तर चित्रकला को बखूबी ढंग से उकेरा। समापन समारोह की मुख्य अतिथि प्रेस क्लब महासमुंद की अध्यक्ष उत्तरा विदानी थी। उन्होंने कहा कि इंसान को इंसान से जोड़ती है। बच्चे संस्कारित होते हैं। हमारे यहां भगवान से मिलने श्रध्दालु मंदिर जाते हैं लेकिन बस्तर के लोग जहां-जहां जाते हैं, उनके देव उनके साथ-साथ चले आते हैं। इस कार्यशाला में बस्तर चित्रकारी का प्रशिक्षण देने जो कलाकार यहां आये हैं, निश्चित ही उनके देवी-देवता, संस्कार भी उनके साथ आये हैं। जिनकी कृपा से हमारे बच्चे इस कला में दक्ष हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर की इस कला का कारवां महासमुंद की पावन धरा से गुजरते हुए दिल्ली तक जायेगा और हमारे अंचल का नाम रोशन होगा, मेरी शुभकामनाएं हैं।

विशेष अतिथि देव संस्कृति विद्यालय के प्राचार्य कुबेर प्रकाश गिरि गोस्वामी, सरस्वती शिशु मंदिर की प्राचार्या राजश्री ठाकुर, प्रधानाचार्य कृष्णा चन्द्राकर ने भी संबोधित किया। संचालन संयुक्त रूप से सह संयोजक राजेश्वर खरे व टेकराम सेन ने किया। आदर्श शिक्षण मण्डल के अध्यक्ष घनश्याम सोनी, आजीवन सदस्य मानक नामदेव, प्रमोद कन्नौजे, काव्यांश परिवार से जयराम पटेल, डी बसंत साव, लोकेश चन्द्राकर, देव संस्कृति विद्यालय, एसके झुलपे स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ठ हिन्दी स्कूल, साक्षी साहू गुड शेफर्ड, नेहा भारद्वाज चन्द्रोदय पब्लिक स्कूल, गीतांजली वर्मा वृन्दावन विद्यालय, सीमा ध्रुव श्याम विद्या मंदिर, आकांक्षा भोई स्वामी आत्मानंद नयापारा, प्रज्ञा लांजेवार आशीबाई गोलछा कन्या विद्यालय,रेखराज चन्द्राकर सरस्वती शिशु मंदिर, पुष्पांजलि नेटी बृजराज पाठशाला आदि का विशेष सहयोग रहा।
 

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