राजनांदगांव

विवादित नोडल अफसर खरे हटाए गए
28-Nov-2022 7:57 PM
विवादित नोडल अफसर खरे हटाए गए

गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा में गड़बड़ी का आरोप

‘छत्तीसगढ़’  संवाददाता
राजनांदगांव, 28 नवंबर।
शिक्षा महकमे में नोडल अधिकारी के पद पर कार्यरत आदित्य खरे को आखिरकार जिला शिक्षा अधिकारी राजेश सिंह ने हटा दिया है। आदित्य खरे पर गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा पर गड़बड़ी करने का आरोप है।


मिली जानकारी के अनुसार गरीब बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा दिलाने के लिए भारत सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून वर्ष 2009 में लाया गया और वर्ष 2010 में इसे पूरे प्रदेश में लागू किया गया, लेकिन जिले में इसका समुचित लाभ गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा था। प्रतिवर्ष हजारों सीटें रिक्त रह जाती है और जो गरीब बच्चे प्रवेश ले रहे हैं वह भी स्कूल छोड़ रहे हैं। जिसके लिए जिले के आरटीई नोडल अधिकारी को ही जिम्मेदार माना जा रहा था।


मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन को लगातार शिकायत मिल रही थी कि शिक्षा का अधिकार कानून को जिले में कड़ाई से पालन नहीं कराया जा रहा है। सुविधाहीन प्राईवेट स्कूलों की अनुमति मान्यता दिया जा रहा है और अवैध रूप से संचालित प्राइवेट स्कूलों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, इस प्रकार प्राईवेट स्कूलों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। कोरोना काल में लगभग 45 प्राइवेट स्कूल बंद हो गए, इसमें लगभग एक हजार आरटीई के गरीब बच्चे अध्ययनरत् थे, जो आज कहां है, इसकी कोई जानकारी आरटीई नोडल अधिकारी के पास नहीं है, लेकिन दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह जानकारी दिया गया कि कोरोना काल में जितने भी प्राइवेट स्कूल बंद हुए। उनमें अध्ययनरत सभी बच्चों को दूसरे स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चुका है।


सूत्रों का कहना है कि पीडि़त पालकों द्वारा लगातार लिखित शिकायत कर आदित्य खरे आरटीई नोडल अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की मांग कर रहे थे और राज्य सरकार ने भी डीईओ को आरटीई फीस स्टैम्प के संबंध में प्रतिवेदन भेजने का आदेश दिया है, जिसको लेकर अब डीईओ ने सख्त कदम उठाया और शनिवार को आरटीई नोडल अधिकारी आदित्य खरे को आरटीई के कार्य से हटा दिया गया, क्योंकि आरटीई फीस स्टैम्प मामले में जांच किया जा रहा है और शिकायत आदित्य खरे के विरूद्ध है और शिकायतकर्ता जांच से आदित्य खरे को दूर रखने की मांग कर रहे हैं। वैसे भी आदित्य खरे का मूल पद प्राचार्य का है और उन्हें किसी स्कूल में अध्ययपन कार्य में होना चाहिए, लेकिन वे डीईओ कार्यालय में विगत 20 वर्षों से जमे हुए हैं।

 

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