महासमुन्द
महासमुंद, 30 नवंबर। महासमुंद जिले में लंपी वायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इस वक्त जिले से 12 मवेशी इस वायरस से ग्रस्त हैं। वहीं 4 अन्य में भी इसका लक्ष्ण देखा गया है जिनमें संक्रमण की पुष्टि के लिए सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
संक्रमण को लेकर राज्य स्तर से सभी पशुओं के वैक्सिनेशन के निर्देश जारी किए गए हैं। इससे पहले केवल बार्डर एरिया के पशुओं को ही वैक्सिन लगाने के लिए गाइडलाइन जारी किए गए थे।
जानकरी के मुताबिक समाचार लिखते तक जिले के मैदानी इलाके में वैक्निेशन शुरू नहीं हुआ है। इस संबंध में पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक आर एच पांडेय ने बताया कि अब तक पिथौरा में 6, महासमुंद में 6, कुल 12 पशु लंपी वाइरस से संक्रमित हैं। इसके बाद से 4 मवेशियों का ही सैपल जांच के लिए रायपुर भेजा गया है। इनके अनुसार आंकड़े इससे ज्यादा होने का अनुमान है। जिले के कई गांवों में पशुओं के वैक्सिनेशन जानकारी के मुताबिक जिले के पशु चिकित्सा विभाग में संसाधनों की कमी है। यहां मात्र एक ही मोबाइल युनिट है जो जिले भर में अपनी सेवाएं दे रहा है।
अफसर कहते हैं कि ऐसे में संवेदनशील मामलों में देरी हो जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक जिले के बार्डर एरिया में पहले 24 हजार पशुओं को वैक्सीन लगाना था। मगर अब जिले के कुल 3 लाख से ज्यादा पशुओं को वैक्सीन लगाया जाना है। डॉ.आर एच पांडेय के मुताबिक लंपी वायरस जानवरों में पाई जाने वाली एक जानलेेवा बीमारी है। यह बीमारी दुधारू पशुओं में पाई जाती है। मुख्य रूप से गायों में देखने को मिला है। संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने से अन्य कई पशुओं को भी यह बीमारी हो रही है। इसे विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने अधिसूचित बीमारी घोषित किया है। इसका कोई पुख्ता इलाज अभी तक नहीं आया है। हालांकि इलाज सिर्फ लक्षणों के आधार पर ही किया जा रहा है। इस बीमारी की वजह से पशुओं की त्वचा में गठान या ढेलेदार दानें बन जाते हैं। इसको कैपरी पा्कस वाइरस के तौर पर भी जाना जाता है। यह बीमारी मच्छरों के काटने से जानवरों में फैलती है।