कांकेर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर, 30 नवंबर। बेटा और पति की मौत के सदमे से वृद्धा लकवाग्रस्त हो गई, वहीं दो मौतों के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही बहू को सहायता के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। पति की मौत के 5 माह बाद बीत जाने के बाद भी तहसील तक उसका प्रतिवेदन नहीं पहुंच पाया है।
यह व्यथा है कांकेर जिले के नरहरपुर तहसील के ग्राम उमरादाह के समीप चरभट्टी की। मुन्नालाल मंडावी, पत्नी जयबती मंडावी, पिता सुशील मंडावी और माता देवकुंवर मंडावी एक साथ रहते थे। आठ जून 2022 को पेड़ से गिरने से मुन्नालाल की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के कुछ दिन बाद ही परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया। इस घटना के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मुन्नालाल की पत्नी जयबती पर आ गई।
पेड़ गिरने से हुई पति की मृत्यु के पांच माह बीत गए हैं, लेकिन प्रभावित परिवर को आज पर्यंत कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है, न ही राहत दी गई है। इधर बीमार स्वसुर सुषील मंडावी की एक सप्ताह पहले मौत हो गई। सुशील मंडावी की मौत के बाद उनकी वृद्धा पत्नी देवकुंवर मंडावी का शरीर लकवाग्रस्त हो गया है।
पति और ससुर की मृत्यु के बाद वृद्धा सास के लकवाग्रस्त होने के बाद बहू जयबती पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है। परिवार के पालन पोषण के साथ ही बीमार सास के इलाज के लिए भी उसे दर-दर भटकना पड़ रहा है। पांच माह बाद उसके ससुर सुशील मंडावी की मृत्यु होने से जो कुछ सहारा था, वह भी छीन गया। वहीं पति और ससुर की मृत्यु के बाद सास लकवाग्रस्त हो गई है। उसके इलाज के लिए भी रुपए नहीं हैं, जिससे उसका जीवन बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। मुन्नालाल मंडावी के मृत्यु के 5 माह बाद बीत जाने के बाद भी तहसील तक उसका प्रतिवेदन नहीं पंहुच पाया है। जिससे मृतक का परिवार सरकार से मिलने वाले सहायता राशि से अभी तक वंचित है।
इस संबंध में पटवारी श्री कुंजाम ने ‘छत्तीसगढ़’को बताया कि यह प्राकृतिक आपदा (पेड़ से गिरन से मौत)के अंतर्गत नहीं आता है, इसलिए आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रहा है।