राजनांदगांव

नियमित के बजाय सीमित समय के लिए सरकार कर रही नियुक्ति
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 1 दिसंबर। राजनांदगांव रेंज में डीआईजी पद फिर से खाली हो गया है। निवर्तमान डीआईजी रामगोपाल गर्ग को सरकार ने कुछ दिन पहले सरगुजा रेंज का आईजी का जिम्मा सौंपा है। इसी के साथ राजनंादगांव रेंज में डीआईजी की कुर्सी रिक्त हो गई है। रेंज के अस्तित्व में आने के बाद से नियमित नियुक्ति को लेकर सरकार का रूख ढीला रहा है। करीब दो साल बाद राज्य सरकार ने खाली पड़े पद पर गर्ग को भेजा था। वह रेंज की स्थितियों को समझ ही रहे थे कि अचानक उनका तबादला हो गया।
बताया जा रहा है कि अविभाजित राजनांदगांव रेंज की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए शासन ने डीआईजी पद स्वीकृत किया था। करीब डेढ़ दशक से रेंज में की गई नियुक्ति में समय सीमा काफी कम रहा। सीधे और प्रमोटी आईपीएस को डीआईजी नियुक्त कर सरकार ने एक तरह से खानापूर्ति करने की कोशिश की। हाल ही के महीनों में भौगोलिक और प्रशासनिक परिस्थितियां बदल गई है।
राजनांदगांव जिले से पृथक होकर अस्तित्व में आए मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला निजी तौर पर काम कर रहे हैं। ऐसे में राजनांदगांव रेंज में कवर्धा को मिलाकर 4 जिले हो गए हैं। प्रशासनिक स्तर पर कसावट लाने के लिए डीआईजी की नियुक्ति को अहम माना जाता है। सुपरविजन अधिकारी के तौर पर डीआईजी की मौजूदगी से पुलिस महकमे की साख अलग ही नजर आती है।
दो साल पूर्व लगभग 4 से 5 महीने के लिए 2003 बैच के आईजीपी आरएल डांगी को पदस्थ किया गया था। उसके बाद यह पद रिक्त रहा। 2007 बैच के अफसर गर्ग के आने मात्र से पुलिस महकमे की गतिविधियां काफी तेज हुई। नक्सल से लेकर अन्य आपराधिक गतिविधियों में गिरावट आई। डीआईजी की नियमित तैनाती नहीं होने से रेंज में प्रशासनिक ढ़ीलापन का आना तय है। ऐसे में सरकार को डीआईजी की पोस्टिंग को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।