बेमेतरा
एड्स: लिंक एआरटी को मुख्य एआरटी सेंटर के रूप में डेवलप की जरूरत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 2 दिसंबर। एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ावा देने के लिए जिला अस्पताल में संचालित लिंक एआरटी सेन्टर को मुख्य एआरटी सेन्टर के तौर पर संचालित करने की जरूरत है, जिससे बेमेतरा जिला के अलावा समीपवर्ती कवर्धा और मुंगेली जिले के साथ-साथ बलौदाबाजार, भाटापारा जिले के सीमा क्षेत्र के लोगों को भी एचआईवी, संक्रमण, जांच, उपचार व दवाईयां कम दूरी में उपलब्ध हो सके।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ.एस.आर. चुरेंद्र का कहना है कि अभी जिला अस्पताल में लिंक एआरटी संचालित है। भविष्य में एआरटी के लिए प्रस्ताव मंगाए जाने पर प्रस्ताव प्रेषित किया जाएगा।
वर्तमान में जिले के संक्रमितों को एआरटी दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, राजनांदगाव जाकर समुचित जांच उपचार कराना पड़ता है जिसके बाद संबधित मरीज की इच्छानुसार बेमेतरा लिंक एसटी में दवाईयां व उपचार मुहैया कराया जाता है।
जानकारी के अनुसार एचआईवी की अनिवार्य तौर पर गर्भवती महिलाएं का प्रथम तिमाही में जांच किया जाता है। इसके अलावा सिफीलिस की जांच करवाने वाले, टीबी मरीजों का एचआईवी जांच अनिवार्य रूप से किया जाना है। जिले में जांच के लिए तीन आईसीटीसी केंद्र सीएचसी बेरला, सीएचसी साजा और जिला चिकित्सालय बेमेतरा में आईसीटीसी के साथ यौन रोग एसटीआई केंद्र की सुविधा इसके अलावा जिले संक्रमितों का जांच व उपचार के बाद जिला अस्पताल में लिंक एआरटी सुविधा दी गई है। बताया गया कि जांच में एचआईवी संक्रमण मिलने पर पहले दुर्ग एआरटी केंद्र से लिंक करवाया जाता है तत्पश्चात उन्हें पहले वहां उनका ट्रीटमेंट एआरटी चलता है तब उचित दवा तय होने पर मरीजों को बार-बार दवाई के लिए दुर्ग जाने के बजाए उन्हें लिंक एआरटी बेमेतरा से दवाई मिलती है। वही बिलासपुर, रायपुर व राजनांदगांव जिले के समीप क्षेत्र के मरीज भी वहीं पर जांच के बाद उपचार कराते हैं।
प्रथम 6 माह एआरटी पर निर्भरता जरूरी
संक्रमण की जानकारी होने पर मरीजों को उचित दवाओं से उपचार के लिए एआरटी केन्द्र में ही उपचार के लिए जाना पड़ता है। जहां पर करीब 6 माह तक उपचार कराना अनिवार्य होता है। संक्रमितों को सीडी फो काउट जांच के लिए मुख्य केन्द्र पर 6 माह तक निर्भर रहना पड़ता है। 6 महिने के बाद मरीज की इच्छा के अनुसार लिंक एआरटी सेन्टर में दवा मुहैया कराया जाता है पर प्रत्येक 6 माह में मुख्य एआरटी सेन्टर जांच कराना पड़ता है या फिर दवाओ का असर कम होने या फिर शारीरिक दिक्कते होने पर एआरटी सेन्टर जाना पड़ता है। जिले से संबधित मरीजों को बार-बार इस तरह की दिक्कतों का सामना पड़ता है जिसे देखते हुए जिला में संक्रमितों का आंकड़ा जुटाकर जिले में पूर्ण केन्द्र प्रारंभ किये जाने की दिशा में कदम बढ़ाया जाना चाहिए जिससे प्रदेश का 10वां एआरटी केन्द्र जिला अस्पताल में प्रारंभ किया जा सकें।
एमडी मेडिसीन व एमडी पैथालाजिस्ट पदस्थ है इसलिए संभावना अधिक
जानकारी के अनुसार एआरटी सेन्टर प्रारंभ करने के लिए आवश्यक संसाधन व विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनिवार्यता तय किया गया है। उनमें से जिला अस्पताल में एमडी पैथालॉजिस्ट व एमडी मेडिसी पदस्थ है। इसके आलावा जिला अस्पताल में ब्लड बैंक, एक्स रे की सुविधा भी उपलब्ध है जिससे देखते हुए जिला अस्पताल में लिंक एआरटी को पूर्ण एआरटी सेन्टर प्रारंभ करने के दावे को बल मिल रहा है। वर्तमान में लिंक एआरटी में 135 से अधिक को दवाईयां उपलब्ध कराया जा रहा है।
जानकारी व बचाव ही उपाय है
चिकित्सकों के अनुसार बीमारी, ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस के संक्रमण से होती है। एचआईवी एक वायरस है। वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर अटैक करके टी सेल्स को खत्म करता है। इससे व्यक्ति का शरीर नॉर्मल बीमारियों से भी लडऩे में सक्षम नहीं रह पाता है। समय पर एचआईवी का इलाज नहीं होने से इसका इंफेक्शन बढ़ता है और एड्स का कारण बन जाता है। राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा एड्स के संबंध में टोल फ्री नम्बर 1097 में जारी की गई है जिसमें डॉयल कर अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।