दुर्ग

बच्चों की अटेंडेंस गूगलशीट में होगी एंट्री, कम आने वाले बच्चों की उपस्थिति पर होगा काम
02-Dec-2022 4:30 PM
बच्चों की अटेंडेंस गूगलशीट में होगी एंट्री, कम आने वाले बच्चों की उपस्थिति पर होगा काम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 2 दिसंबर। स्कूली बच्चों की अटेंडेंस की रोज गूगलशीट में एंट्री होगी। इसकी रिपोर्ट रोज डीईओ कलेक्टर को भेजेंगे। स्कूलों में अटेंडेंस  ट्रेंड की समीक्षा होगी और इसे ठीक करने की दिशा में कार्य किया जाएगा। यह निर्देश कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बैठक में दिए। 
उन्होंने कहा कि अच्छे रिजल्ट के लिए और बेहतर लर्निंग के लिए बढिय़ा अटेंडेंस होनी जरूरी है। समीक्षा उपरांत जिन स्कूलों में अटेंडेंस कम पाई गई, उनमें पेरेंट्स टीचर मीटिंग और अन्य माध्यमों से बच्चों के नियमित अटेंडेंस के लिए कार्य किया जाएगा। कलेक्टर ने मासिक टेस्ट के साथ ही साप्ताहिक टेस्ट कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि साप्ताहिक टेस्ट कराने से सभी स्कूलों में निर्धारित समय में सिलेबस हो पाएगा क्योंकि टेस्ट में समरूपता होने से सिलेबस भी उसी तरह से पूरा होगा। बैठक में संयुक्त कलेक्टर प्रवीण वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी अभय जायसवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
सर्वोत्तम रिजल्ट कैसे आये, वर्कशाप में अपने अनुभव साझा करेंगे शिक्षक- कलेक्टर ने बीते तीन साल में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल के नतीजों की समीक्षा की और रिजल्ट बेहतर करने कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में अच्छे रिजल्ट आए हैं और जिन शिक्षकों ने काफी अच्छे नतीजे लाए हैं वे वर्कशाप में अपने अनुभव साझा करेंगे, यह आपसी संवाद का फोरम होगा, जिससे सभी एक दूसरे के अनुभवों से लाभान्वित होंगे।
धमधा के पायलट प्रोजेक्ट नव पहल की प्रशंसा- जिले में शैक्षणिक नवाचार के लिए नव पहल प्रोजेक्ट चलाई जा रही है। इसके लिए धमधा ब्लॉक को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। इसमें जनभागीदारी से शैक्षणिक नवाचारों के माध्यम से शिक्षा की स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया गया है। यहां 28 तरह की गतिविधियां होती हैं। कुछ नवाचारों के बारे में बताते हुए अधिकारियों ने बताया कि नींव पुस्तकालय बनाये गए है प्रतियोगी परीक्षाओं की सामग्री उपलब्ध कराई गई है। कला स्रोत केंद्र के माध्यम से स्थानीय कला सामग्रियों को रखा गया है जिससे स्थानीय कला को बढ़ावा दिया जा रहा है। कलेक्टर ने सियान लोकशाला के बारे में भी पूछा। इसमें बुजुर्ग लोग संध्या चौपाल में अपने अनुभव साझा करते हैं। अंगना म शिक्षा भी एक विशेष तरह का कार्यक्रम है। इसमें मास्टर ट्रेनर माताओं को बच्चों को शिक्षित करने प्रैक्टिस कराते हैं। चूंकि माता को बच्चे की पहली टीचर माना जाता है अतएव उन्हें ही जनरल आब्जर्वेशन के लिए बच्चों को तैयार करने प्रेरित किया जाता है।
लर्निंग लास में आई कमी, नींव कार्यक्रम का असर 
कलेक्टर ने कहा कि सबसे प्राथमिकता का कार्य लर्निंग लास को खत्म करना है। बच्चे फर्राटेदार हिंदी-अंग्रेजी पढ़ पाएं, गणित की सामान्य संक्रियाएं कर पाएं। इसके लिए लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन और संपर्क संस्था की ओर से कार्य किया जा रहा है। लर्निंग फाउंडेशन द्वारा स्कूलों में नींव कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिससे बच्चे खेल-खेल में फर्राटेदार हिंदी पढऩा सीख रहे हैं। संपर्क फाउंडेशन द्वारा स्मार्ट क्लासेज के माध्यम से ऐसा किया जा रहा है। नींव कार्यक्रम के अंतर्गत 583 स्कूलों में लर्निंग लास पर काम हो रहा है। संपर्क द्वारा 20 स्कूलों में ऐसा काम हो रहा है।
दिव्यांग बच्चों के एजुकेशन के लिए हो विशेष व्यवस्था 
कलेक्टर ने कहा कि जिन बच्चों को दिव्यांगता से संबंधी समस्या है या किसी तरह की इंटलैक्चुअल डिसएबैलिटी है उनके चिन्हांकन के साथ ही उनके उपचार की समुचित व्यवस्था भी करें। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को विस्तार से कार्य करने निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा गया है कि दिव्यांग बच्चों के शौचालय अच्छी स्थिति में नहीं होते। इन्हें ठीक करिऐ और रिपोर्ट दीजिए। कलेक्टर ने बैठक में शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं की विस्तार से समीक्षा भी की और इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए।

 

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