दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 3 दिसंबर। आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि अपने जीवन में जितनी भी मंत्र सिद्धि व साधना की हो उसे नसिया तीर्थ में अर्पित कर दो। पूरे देष्श में नसिया तीर्थ की चर्चा हो रही है। भू-मंडल जयवंत हो रहा है। जिन लोगों ने मिलकर नसिया तीर्थ का निर्माण किया है उनका अंदर से स मान करो।
शिवनाथ नदी तट स्थित नसिया तीर्थ में मंगल प्रवेश के बाद आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा कि पशु पक्षी कीड़े-मकोड़े, चीटी व मधुमक्खी अपना घर बना सकते हैं लेकिन मंदिर का निर्माण नहीं कर सकते। मनुष्य ही मंदिर बनाना जानता है। एक वह भूमि है जहां संडास बन रहे है और एक यह भूमि है जहॉ तीनों लोकों के नाथ का जिनालय बना है। उन्होंने कहा कि सुन्दर जगह पर नसिया तीर्थ का निर्माण हुआ है। इसके आगे मुक्ति का धाम है मोक्ष की ओर जाने का धाम है। जब यहां से भीड़ निकलेगी तब तीन लोकों के नाथ से होकर निकलेगी दुर्ग के लोगों पर भी तीन लोकों के नाथ की कृपा बरसेगी। इस धरती पर जितने भी जीव है पहले उनका सत्कार करें। पुण्यात्मा के सिर पर तीनों लोकों के नाथ होते है। आचार्य विशुद्ध सागर ने कहा कि दुर्लभ से दुर्लभ पुण्य का संग्रह किया है इसीलिए जैन कुल मिला है। यह पुण्य का उदय है। जीवन का अहोभाग्य मानो कि नसिया तीर्थ का विचार किया और उसका निर्माण कर लिया। पंच लोक के सामने भाव पैदा करे भगवान एक बार मनुष्य बन जाऊँ तो भगवान बनकर ही मानूंगा। पुरूष बनने के लिए परमात्मा बनने की इच्छा रखे। पंच कल्याण प्रतिष्ठा महामहोत्सव तक विषय व कसाय से दूर रहे। आचार्य विषुद्ध सागर का यह 121 वां पंच कल्याणक महोत्सव है।