सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 4 दिसंबर। जिले में लोगों को समय पर डाक नहीं मिलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डाकघर में सिर्फ साधारण चि_ियां ही न हीं बल्कि रजिस्ट्रड डाक से भेजे गये पत्र भी लोगों को समय पर नहीं मिल रहे हैं। डाकघर से लोगों तक पत्र पहुंचाने में महीनों लग रहे हैं। ज्यादातर पत्र डाकघर पहुंचने के बाद भी नहीं बट रहे हैं। वहीं पोस्ट ऑफिस के जिम्मेदार स्टाफ की कमी का रोना रो रहे हैं।
पुराने समय में डाक विभाग का कितना महत्व था आज के दौर में भी डाक विभाग की उपयोगिता उतनी ही है। जमाना हाईटेक होने के बाद भी लोग डाक विभाग पर निर्भर हैं। बैंकों के एटीएम, सरकारी व प्राइवेट विभागों की नौकरियों के कॉल लेटर समेत अन्य जरूरी दस्तावेज डाक विभाग के माध्यम से ही लोगों तक पहुंचे हैं। लेकिन डाक विभाग में तैनात जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता और डाकियों की लापरवाही के कारण महीनों से चि_ियां नहीं बंट रही हैं। लोगों के ड्यूटी ज्वाईनिंग लेटर, आधारकार्ड, पेनकार्ड, बैंक पासबुक, सहित सर्टिफिकेट्स और कोर्ट से आने वाले तमाम नोटिस डाकघर में धूल खा रहे हैं। जिसका खामियाजा आम लोगो को भुगतना पड़ रहा है।
पोस्ट ऑफिस से घर पहुंचने में लग जाते हैं महीनों...
कोंटा नगर पंचायत वार्ड क्रमांक 13 में स्थित डाकघर की हालत बेहद खस्ता हो गया है। महीनों तक डाक लोगों तक नहीं पहुंच रहे हैं। अगर पहुंच भी रहे हैं तो समय निकल जाने के बाद।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जरूरी पत्र समय पर मिल जाते थे। लेकिन बीते कुछ वर्षों में रजिस्टर्ड डाक भी नहीं मिल रहे हैं। साधारण डाक से मिलने वाले पत्रों का तो कोई हिसाब-किताब नहीं है।
कोंटा नगर पंचायत के नया पारा निवासी विशाल घोष ने बताया कि उनके नाम का एक रजिस्टर्ड डाक 6 अक्टूबर को रायपुर से निकला था। 14 दिन के बाद 20 अक्टूबर को डाक कोंटा डाकघर पहुंचा। यहां से घर पहुंचने में 42 दिन लग गये। कुल मिलाकर प्रदेश की राजधानी से कोंटा तक डाक पहुंचाने में 58 दिन लगे हैं।
इस संबंध में कोंटा पोस्ट ऑफिस में पदस्थ सब पोस्ट मास्टर विके पाणिग्रही ने बताया कि कई बार लिखित रूप से उच्च अधिकारियों को शिकायत की जा चुकी है लेकिन आज तक रेगुलर पोस्टमैन की नियुक्ति नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण समय पर डाक का वितरण किया जा रहा है।