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कोरिया में 3 वर्षों से मिट्टी परीक्षण पर ब्रेक, प्रयोगशाला में रखी कई आधुनिक जांच मशीनें धूल खा रहीं
05-Dec-2022 2:31 PM
कोरिया में 3 वर्षों से मिट्टी परीक्षण पर ब्रेक, प्रयोगशाला में रखी कई आधुनिक जांच मशीनें धूल खा रहीं

विश्व मृदा दिवस पर विशेष
चंद्रकांत पारगीर
बैकुंठपुर (कोरिया) 5 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
कोरिया जिले में बीते 3 वर्षों से मिट्टी परीक्षण पर ब्रेक लगा हुआ है, बीते अगस्त में जिला प्रशासन ने गोठानों में बनाई जा रहे वर्मीकंपोस्ट खाद की जांच के लिए डीएमएफ से 23 लाख की स्वीकृति दी, जिसके शुरू होने में अभी समय है, वहीं राज्य के दूसरे नंबर के मिट्टी परिक्षण की प्रयोगशाला में रखे कई आधुनिक जांच मशीनें धूल खा रही है। जिससे मिट्टी की सेहत में कोई सुधार आता नहीं दिख रहा है।
वहीं मामले में कृषि उपसंचालक पितांबर सिंह दीवान का कहना है कि मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला मेें जिले भर के गोठानो में बनाए जा रहे वर्मी कम्पोस्ट खाद की जांच की जाएगी, ताकि उसकी गुणवत्ता की जांच हो, उसके बाद मिट्टी परीक्षण का कार्य शुरू करेंगे।
बताया जाता है कि कोरिया जिला प्रशासन ने कृषि विभाग को डीएमएफ के तहत 23 लाख रू की स्वीकृति प्रदान की है। जिसके तहत जिले के गोठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए स्थाई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बैकुंठपुर का सुदृढीकरण एवं स्थापना कार्य किया जाएगा। जिसके निर्माण का कार्य जारी है, अभी तक इसकी शुरूआत नहीं हो सकी है। 
दरअसल, कोरिया में जमीन की उर्वरा क्षमता को बनाए रखने और खेती की उत्पादन लागत कम करने के उद्देश्य से शुरू किए गए मृदा परीक्षण कार्यक्रम को लंबे समय से बंद कर दिया गया है पूर्व में हर 2 साल में गांव-गांव की मिट्टी का परीक्षण किया जाता था, लेकिन बाद में विकासखंड के किसी एक गांव की मिट्टी लेकर उसका नमूना परीक्षण किया जाने की बात सामने आई, जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है। 
रासायनिक खाद के मनमाने इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम होती है, इसी वजह से कुछ साल पहले मृदा परीक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इसके तहत हर दो साल में प्रत्येक गांव की मिट्टी लेकर उसका परीक्षण किया जाता था। 
किसानों के लिए भी मिट्टी का परीक्षण कर उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता था लेकिन बीते 3 वर्षों से मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम को बंद है इसके तहत प्रत्येक गांव के बजाए अब विकासखंड के किसी एक गांव की मिट्टी लेकर उसका नमूना परीक्षण किया जाना भी पूरी तरह से बंद है। जिसके कारण विकासखंड के एक गांव पर मिट्टी लेकर उसका नाम परीक्षण करने से बाकी सभी गांवों की मिट्टी की रिपोर्ट नहीं मिल पाएगी। 
जानकारी के मुताबिक मिट्टी परीक्षण को लेकर मृदा स्वास्थ्य परीक्षण का परीक्षण कार्यक्रम 14 वे वित्त आयोग की अनुशंसा से चल रहा था। मृदा परीक्षण का कार्ड 2 साल के लिए चल रहा था। इस वजह से ही मिट्टी परीक्षण का कार्य रोका जा रहा है। इस अभियान के रोकने पर कहीं ना कहीं छोटे-छोटे गांव कस्बों में जहां पर किसान मिट्टी के जांच के बाद ही फसलों और खाद बीज का उपयोग करता था उसने काफी प्रभाव पड़ रहा है।
5 दिसंबर को मनाया जाता  है विश्व मृदा दिवस
हर साल 5 दिसंबर को खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा विश्व मृदा दिवस बढती जनसंख्या की वजह से मिट्टी के कटाव को कम करने की दिशा में काम करने, लोगों को उपजाऊ मिट्टी के बारे में जागरूक करने तथा संसाधन के रूप में मिट्टी के स्थायी प्रबंधन की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व मृदा दिवस 2022 का विषय मृदा, जहां भोजन शुरू होता है ये थीम बनाई गई है। इस तथ्य पर जोर देने के साथ कि मिट्टी में खनिज, जीव और जैविक घटक होते हैं जो मनुष्यों और जानवरों को भोजन प्रदान करते हैं। अगर उनकी गुणवत्ता और बचाव पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये संपूर्ण संसार के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

 

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