दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 5 दिसंबर। 30वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का राज्य स्तरीय आयोजन स्कूल आफ स्टडीज बायोटेक्नालाजी विभाग रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर में 1 से 3 दिसंबर तक किया गया जिसमें संपूर्ण छत्तीसगढ के 26 जिलों से कुल 130 विज्ञान परियोजनाएँ बाल वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत कीं। इनमें से सोलह परियोजनाओं का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए किया गया है।
दुर्ग जिले की डीएवी स्कूल हुडको भिलाई के छात्र प्रियांश भादुडी़ और अनमोल मालवीय द्वारा प्रस्तुत परियोजना को प्रथम स्थान प्रदान किया गया। यह परियोजना जल एवं पादप संरक्षण के लिए प्रस्तुत की गई।
गौरतलब हो कि कृषि क्षेत्र में मुख्यत: दो समस्याएं आती हैं एक तो पानी की कमी होती है जिससे पादप सूखकर नष्ट हो जाते हैं दूसरे जिन पौधों को जल की अल्प मात्रा की आवश्यकता होती है वहां अति जलसिंचन से भी पादप नष्ट होते देखे गए हैं। यह प्रोजेक्ट इसी समस्या के निदान हेतु प्रस्तुत किया गया। इसमें आरडूनो यूनो, रिले, माइक्रोकंट्रोलर, कैपेसिटिव माईश्चर डिटेक्टर एवं पंप का उपयोग होता है। कैपेसिटिव माईश्चर डिटेक्टर मिट्टी में नमी की माप कर प्रति मिनट आरडूनो यूनो को संकेत भेजता है जिससे रिले द्वारा स्वनियंत्रित तरीके से पंप चालू व बंद करता है। जब मिट्टी में शुष्कता बढ़ती है तो पंप शुरू हो जाते है और जब पौधे को आवश्यक नमी की आपूर्ति हो जाती है तो पंप आरडूनो यूनो संकेत भेजकर बंद कर दिए जाते हैं।
इस प्रकार मानव के हस्तक्षेप के बिना पादप को आवश्यक मात्रा में जल की आपूर्ति हो जाती है। इससे न केवल पानी की बचत होती है बल्कि जल का भी भरपूर उपयोग होता है और पादप संरक्षण भी हो जाता है। इससे मानव श्रम भी बचता है। यह परियोजना दोनों छात्रों ने विज्ञान शिक्षक अजय शर्मा के मार्गदर्शन में पूरी की है।