महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 5 दिसंबर। नगर एवं क्षेत्र के प्राय: सभी के चहेते पी के सच्चिदानन्दन का 75 वर्ष की आयु में उनके गृह प्रदेश केरल के त्रिची जिले में स्थित उनके निज निवास में हृदय गति थम जाने से निधन हो गया।
विगत 40 वर्षों से छत्तीसगढ़ के सिंचाई विभाग में समयपाल के पद पर अपनी सेवाएं देने के बाद दो वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत होकर वे अपने गृह प्रदेश चले गए थे। जहां रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
श्री सच्चिदानंदन छत्तीसगढ़ के पिथौरा (जिला -महासमुंद) में आंचलिक कवियों की संस्था श्रृंखला साहित्य मंच के संस्थापक सदस्य और संरक्षक थे। शिवानंद महान्ति के निधन के लगभग साढ़े तीन महीने बाद श्रृंखला साहित्य मंच के यह दूसरे सदस्य का असामयिक निधन हुआ है।वे अत्यंत मिलनसार,मृदुल और हँसमुख स्वभाव के थे और यहाँ के नागरिकों में बहुत लोकप्रिय थे।पिथौरा की सामाजिक-सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में उनकी सक्रिय भागीदारी रहा करती थी। यहाँ उन्होंने अपना एक छोटा -सा मकान भी बनवा लिया था ,लेकिन पारिवारिक कारणों से कुछ वर्ष पहले मकान बेचकर केरल के अपने गृह जिले त्रिचुर में रहने लगे थे।
केरल चले जाने के बाद भी श्रृंखला साहित्य मंच के सदस्यों और पिथौरा के नागरिकों से उनका सम्पर्क बराबर बना हुआ था। वह उनसे मोबाइल फोन पर अपने सुख-दु:ख की बातें साझा करते रहते थे।
दक्षिण भारतीय होने के बावज़ूद उनमें हिंदी साहित्य के प्रति गहरी रुचि थी। श्री सच्चिदानन्दन आयुर्वेद के भी खासे जानकर थे। क्षेत्र के किसी भी निवासी को किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो वे तत्काल उसके घर तक पहुच जाते थे और अपने हाथों से जंगल से जड़ी-बूटी तोडक़र स्वयं ही दवा बना कर उपचार कर देते थे।उनके इस परोपकार का परिणाम यह हुआ कि उनके निधन के बाद लगातार क्षेत्रवासी उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है।