सक्ति

5 सौ वर्ष के संघर्ष के बाद राम जन्मभूमि का स्वप्न हो रहा है पूर्ण-साध्वी ऋतंभरा
06-Dec-2022 7:21 PM
5 सौ वर्ष के संघर्ष के बाद राम जन्मभूमि का स्वप्न हो रहा है पूर्ण-साध्वी ऋतंभरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सक्ती, 6 दिसंबर। जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय खेल मैदान में आयोजित हो रहे श्रीमद् भागवत कथा आयोजन में कथा वाचक के रूप में पहुंची सुप्रसिद्ध साध्वी ऋतंभरा ने श्याम वाटिका में पत्रकार वार्ता के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि विदेशों में जब भारत को लेकर नकारात्मक बातें की जाती है तब अजीब सा लगता है।

उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में भी बहुत कुछ होता होगा लेकिन शायद  उनकी चर्चा उतनी नहीं होती। भारत एक आंतरिक आदर्श के साथ स्थापित है, इसकी अपनी एक अलग महिमा है इसका जो सहज जीवन है, एक-दूसरे के साथ वह बहुत ही लाजवाब है, वह सांसारिक कहीं और देखने को नहीं मिलता, चाहे आप दुनिया घूम ले।

भारत देश की मिट्टी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की मिट्टी को अगर हम शरीर में लेप करें तो चर्म रोग मिट जाते हैं। उन्होंने आयोजक को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने परिवार जनों सहित सक्ती अंचल के लोगों के लिए भागवत कथा का संकल्प लिया।

पत्रकारों के सवाल कि राम मंदिर निर्माण का सपना पूर्ण हो रहा है आपको कैसा लग रहा है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमें अपने मंजिल प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता है, तब पांव में छाले पड़ जाते हैं और वह फूटने लगते हैं तब पीड़ा भी होती है, लेकिन जब आप मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं तब वह छाले शांत पड़ जाते हैं, पीड़ा भी दूर हो जाती है। वहीं लंबी यात्रा बाद जब मंजिल मिल जाए तब जो एहसास होता है, ऐसा ही एहसास हमें हो रहा है, क्योंकि श्री राम जन्मभूमि के साथ में मेरा बहुत संघर्ष का जीवन रहा है, और आज हमारी पीढ़ी है, जो इस सपने को साकार होते देख रहे हैं वह बहुत ही सुंदर लग रहा है।

उन्होंने कहा, देखिए भारत में मंदिर तो लाखों हैं लेकिन श्री राम जन्मभूमि जैसा मंदिर होना और 500 वर्ष के संघर्ष के बाद पुन: उसे स्थापित करना यह पूरे राष्ट्र के लिए गौरव की बात है यह हमारी आस्था का पोषण का भी और भारत के पुनरुद्धार का प्रयास है और यह बहुत ही अद्भुत है।

धर्म और अंधविश्वास में क्या अंतर है ?

उन्होंने कहा कि विश्वास कभी अंधा नहीं होता। हमारे राम चरित्र मानस में पार्वतीजी को श्रद्धा माना है और विश्वास भोले बाबा को माना है और भोले बाबा के दो नहीं तीन नेत्र हैं और विश्वास कभी अधूरा नहीं होता जो त्रिनेत्र को धारण करता है। जब आप किसी विषय को लेकर उत्तरदायित्व हो जाते हैं तब आपको में श्रद्धा होती है और विश्वास होता है।

उन्होंने कहा कि गंगा गंगोत्री गोमुख से निकलती है तो कितना पवित्र रहती है लेकिन वह कलकत्ता पहुंचते-पहुंचते अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है, जिसका समय समय पर सफाई की जाती है, ऐसे ही जब किसी चीज की अति हो जाती है, तब उसका समन करने के लिए कोई ना कोई महापुरुष का उदय हो जाता है फिर समाज में संतुलन आ जाता है।

उन्होंने कहा कि धर्म को व्यापार नहीं बनाना चाहिए वर्तमान समय जागृति का ह,ै समाज देख रहा है, सोच रहा है, समझ रहा है।  उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के संबंध में कहा कि भारत देश को ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो सबका भला चाहते हैं ऐसे प्रधानमंत्री जो गंगा नदी में कलश लेकर आगे बढ़ते हैं और गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार को नैतिक शिक्षा के प्रति अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

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