सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 6 दिसंबर। मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में 4 नवजात की मौत के बाद भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को एक पत्र प्रेषित किया है।
पत्र में आरोप लगाते हुए बताया कि जब तक जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय अलग-अलग नहीं होंगे, ऐसी घटनाएं होती रहेगी। इस तरह की घटना का मूल कारण दो विभागों की वर्चस्व की लड़ाई है। स्वास्थ्य मंत्री जिला चिकित्सालय सह अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर में जब तक आमूल-चूल परिवर्तन नहीं करेंगे तो स्थिति नहीं सुधरेगी।
श्री दुबे ने कहा कि चिकित्सालय में जितने भी विभाग हैं, उनके एचओडी चिकित्सा शिक्षा विभाग के जूनियर डॉक्टर हैं, उनसे 20-25 साल सीनियर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों को (जो कि जिला चिकित्सालय में पदस्थ है) एचओडी का सहायक बनाकर रखा गया है, क्योंकि जिला चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रूप में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा अधिग्रहित किया हुआ है। ऐसी ही स्थिति सभी वार्डों में प्रभारी जूनियर नर्सें अपने से सीनियर नर्सों की बॉस बनकर बैठी हैं। अधिकांश मेडिकल कॉलेज के एचओडी स्टाफ नर्स, मेडिकल सुप्रीटेंडेंट और डीन बिलासपुर और रायपुर के हैं।
शुक्रवार को दोपहर में यह सभी अम्बिकापुर से बिलासपुर और रायपुर को प्रस्थान कर जाते हैं। मेडिकल सुप्रीटेंडेंट एवं डीन तो रायपुर में मीटिंग का बहाना करके बुधवार या गुरुवार को ही अपने घर बिलासपुर निकल जाते हैं। उनकी अनुपस्थिति में यह सभी विभाग और वार्डों के जिला चिकित्सालय के पदस्थ सीनियर डॉक्टर और नर्सेस अपने जिम्मेदारी न मानते हुए चुपचाप रहते हैं। वो अम्बिकपुर में रहे तब तो कुछ जिम्मेदारी निभा पाएं। पूरी लापरवाही/जिम्मेदारी एमएस के कुप्रबंधन की है।
जब तक यह दोनों सेट-अप एक साथ होंगे तो ऐसी घटनाएं बार-बार होंगी। जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन भी चिकित्सालय में नहीं बैठते हंै।