महासमुन्द
सामाजिक और व्यापारिक वर्ग के लोग भी मिलेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 दिसम्बर। मुख्यमंत्री के आज सरायपाली आगमन पर लोगों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा सरायपाली को जिला बनाने को लेकर है। कई वर्षों से अंचल के विकास के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं लोग जिले की मांग कर रहे हैं। सरायपाली-बसना क्षेत्र को जिला बनाने की मांग 32 साल पुरानी है। वर्ष 1984 से लगातार सरायपाली-बसना को जिला बनाने की मांग व्यापारी वर्ग, राजनीतिक पार्टियां, जनप्रतिनिधि, विभिन्न समाजों के लोग करते आ रहे हैं। पिछले दिनों जब सारंगढ़ को जिला बनने की घोषणा की बात सामने आई तो सरायपाली-बसना को जिला बनाने हेतु पुन: प्रयास होने लगे। इस प्रयास के चलते जिला बनाने हेतु एक समिति का गठन भी हुआ है। जिन्होंने हस्ताक्षर अभियान चलाकर राष्ट्रपति तक ज्ञापन भी पहुचांई है।
इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 10 मार्च 2018 शनिवार को जब सराईपाली ब्लॉक में मुख्यमंत्री कन्या योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का लोकार्पण करने संवरा समाज के महासम्मेलन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने आये थे, तब संघर्ष समिति ने सराईपाली बसना को संयुक्त नवीन जिला बनाने की मांग रखी थी। जिसमें मुख्यमंत्री ने समिति को आश्वासन दिया कि आगामी समय में जब भी प्रदेश में नवीन जिला बनाया जायेगा, सराईपाली-बसना को पहली प्राथमिकता मिलेगा।
इसके बाद 5 जून को जैसे ही सारंगढ़ जिला बनने की बात सामने आई, पुन: यह मांग की जोर शुरू हो गई। चर्चा है कि इस क्षेत्र के लोग पहले मुख्यमंत्री को मांग पत्र देंगे और अवश्यक्ता अनुसार आंदोलन करने की चर्चा करेंगे। मुख्यमंत्री को मांगपत्र सौपने के लिए सराईपाली तथा बसना के विधायक के साथ विधानसभा के लिए आगे आने वाले नए चेहरों की जानकारी मिली है।
गौरतलब है कि सरायपाली-बसना में आवागमन व्यवस्था, अनुविभाग, एसडीएम कार्यालय, सिंचाई विभाग, एडीजे कोर्ट, कुटुंब न्यायालय, विधुत न्यायालय, पी डब्ल्यूए डी, पी एच दूरसंचार, एस डी ओ पी कार्यालय, व्यवहार न्यायालय, 100 बिस्तर अस्पताल, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, रेडियो स्टेशन, विद्युत् विभाग का ई ई कार्यालय, शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था आई टी आई है और जल्द ही एयर बेस केम्प भी खुलने वाला है।
इसके अतिरिक्त सराईपाली ओडिशा की सीमावर्ती पूर्वी छोर का एक मात्र नगर होने के कारण प्रशासनिक कसावट की कमी है। व्यवसाय में तेजी नहीं हैं और गाहे-बगाहे नक्सलियों की आमद भी बनी रहती है। यहां से जिला मुख्यालय महासमुंद की दूरी लगभग 120 किमी से अधिक है। आम लोगों को आवागमन की सुविधा में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।