सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़़, 7 दिसम्बर। कोसीर मुख्यालय के बौद्ध बिहार में बाबा साहब की पुण्यतिथि मनाई गई। हर साल 6 दिसंबर के दिन डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। क्या है परिनिर्वाण डॉ अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर क्यों मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस?
डॉक्टर भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें हम सब डॉक्टर बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जानते हैं। डॉक्टर अम्बेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है। 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई थी। हर साल 6 दिसंबर के दिन को बाबा साहेब की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने के पीछे का कारण है बाबा साहेब को सम्मान और श्रद्धांजलि देन। जानिए क्या महापरिनिर्वाण दिवस और बाबासाहेब अम्बेडकर की पुण्यतिथि के दिन इसे मनाने का क्या है महत्व।
परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’ यानी मौत के बाद निर्वाण। परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में एक है। इसके अनुसार, जो व्यक्ति निर्वाण करता है वह सांसारिक मोह माया, इच्छा और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है। साथ ही वह जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है.,लेकिन निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है। इसके लिए सदाचारी और धर्मसम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बौद्ध धर्म में 80 वर्ष में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वान कहा जाता है।
कोसीर बौद्ध बिहार में महा परिनिर्वान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में सारंगढ़ पूर्व विधायक कुमारी कामदा जोल्हे व गांव के गणमान्य लोग उपस्थित रहे जिसमें दूज राम बौद्ध ,नारायण लहरे, रघुवीर बनज, गोपाल व अन्य लोग उपस्थित रहे।