मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 5 जनवरी। दिव्यांग जनों हेतु जिले की एकमात्र संस्था नेत्रहीन विद्यालय मनेंद्रगढ़ में दृष्टिहीनों के मसीहा सर लुईस ब्रेल की 214वीं जंयती धूमधाम से मनाई गई।
सर लुईस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में हुआ था। आरंभ के 3 वर्षों तक वे सामान्य थे फिर आँख में चोट लगने के कारण दृष्टिहीन हो गए। पढऩे-लिखने में कठिनाई होने के कारण उन्होंने अथक परिश्रम कर ब्रेल लिपि का आविष्कार किया जो बाद में सम्पूर्ण विश्व के दृष्टिहीनों के लिए पढऩे-लिखने का एक सरल साधन बना, इसलिए उन्हें ब्रेल लिपि का जनक भी कहा जाता है। विश्व भर में सभी दृष्टि हीन उनकी जन्म तिथि को ब्रेल दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इसी कड़ी में संस्था में भी सर लुईस ब्रेल की जयंती के उपलक्ष्य में दृष्टिहीनों के मध्य ब्रेल पठन व लेखन की प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में चिरमिरी निवासी शेख इस्माइल, समिति सदस्य चंद्रकांत चावड़ा, संस्था प्राचार्य संतोष चढ़ोकर, शिक्षक रामनाथ रहड़वे, गोपाल तिवारी, संतोष पाण्डेय, आरती पाण्डेय, टकेश्वर यादव एवं रामनारायण कश्यप के साथ प्रतीक श्रीवास, मालिक राम, रणजीत सिंह, गीता, बबली, सुरेश कुशवाहा, राहुल कुमार आदि उपस्थित रहे। ब्रेल की लेखन प्रतियोगिता में कक्षा 3 से 8वीं में आयुष कुमार प्रथम, बलजीत देवांगन द्वितीय व सागर केंवट तृतीय स्थान पर रहे।
ब्रेल की पठन प्रतियोगिता में आयुष कुमार प्रथम, द्वितीय बलजीत देवांगन व तृतीय स्थान पर मंगलू सिंह रहे। उच्च वर्ग से ब्रेल लेखन में शनि कुमार 12वीं प्रथम, सतीश पांडेय बीए द्वितीय, व सुरेंद्र सिंह 10वीं तृतीय स्थान पर रहे। इसी प्रकार ब्रेल पठन में सूरदास पैकरा 9वीं प्रथम, रविशंकर पावले 10वीं द्वितीय व करण नेताम 9वीं तृतीय स्थान पर रहे। समस्त विजेताओं को पुरस्कारों का वितरण कर उनका उत्साहवर्धन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन छात्र शनि कुमार द्वारा किया गया।