कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 15 जनवरी। बाबा साहेब सेवा संस्था कार्यालय में वीर शहीद तिलका मांझी के छाया चित्र पर दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई वा उनके कार्यों को याद किया गया। संस्था के पदाधिकारियों ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला।
तिलका मांझी उर्फ जबरा पहाडिय़ा ने राजमहल, झारखंड की पहाडिय़ों पर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया। दुमका, झारखंड में तिलका मांझी उर्फ जबरा पहाडिय़ा (तिलका मांझी) भारत में ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने वाले पहाडिय़ा समुदाय के वीर आदिवासी थे। सिंगारसी पहाड़, पाकुड़ के जबरा पहाडिय़ा उर्फ तिलका मांझी के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म 11 फऱवरी 1750 ई. में हुआ था। 1771 से 1784 तक उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध लंबी और कभी न समर्पण करने वाली लड़ाई लड़ी और स्थानीय महाजनों-सामंतों व अंग्रेजी शासक की नींद उड़ाए रखा।
उन्होंने 1778 ई. में पहाडिय़ा सरदारों से मिलकर रामगढ़ कैंप पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों को खदेड़ कर कैंप को मुक्त कराया। 1784 में जबरा ने क्लीवलैंड को मार डाला। बाद में आयरकुट के नेतृत्व में जबरा की गुरिल्ला सेना पर जबरदस्त हमला हुआ, जिसमें कई लड़ाके मारे गए और जबरा को गिरफ्तार कर लिया गया। कहते हैं उन्हें चार घोड़ों में बांधकर घसीटते हुए भागलपुर लाया गया। अंग्रेजों ने भागलपुर के चौराहे पर स्थित एक विशाल वटवृक्ष पर सरेआम लटका कर उनकी जान ले ली। हजारों की भीड़ के सामने जबरा पहाडिय़ा उर्फ तिलका मांझी हंसते-हंसते फांसी पर झूल गए। तारीख थी संभवत: 13 जनवरी 1785। बाद में आजादी के हजारों लड़ाकों ने जबरा पहाडिय़ा का अनुसरण किया।
कार्यक्रम में बाबासाहेब सेवा संस्था के संरक्षक तिलक पांडे, प्रमोद भारती, उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह मंडावी, कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश नाग, सचिव रमेश कुमार पोयाम, देवानंद चौरे, सदस्य एवं संस्था के अन्य पदाधिकारी गण उपस्थित थे।