बेमेतरा

आयुर्वेदिक डॉक्टरों की कमी, 11 पद खाली, प्रभार के सहारे काम
17-Jan-2023 2:43 PM
आयुर्वेदिक डॉक्टरों की कमी, 11 पद खाली, प्रभार के सहारे काम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा 17 जनवरी।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए जिले में 27 आयुर्वेदिक औषधालय का संचालन किया जा रहा है। जिले में संचालित औषधालयों में 11 पद पर चिकित्सकों की कमी है। जिले के साजा व नवागढ़ ब्लाक में आयुर्वेद डॉक्टरों की कमी का आलम ये हैं कि दोनों ब्लाक में केवल 3-3 डॉक्टर ही कार्यरत है।

जिले में संचालनालय आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी सिद्ध एवं होम्योपैथी, छत्तीसगढ़ योजना के तहत जिले मे 27 औषधालयों का संचालन किया जा रहा है। जिले के बेेमेतरा विकासखंड में 6 औषधालय, नवागढ़ में 6 औषधालय, बेरला में 7 औषधालय में व साजा में 8 औषधालय है। जिले में अनेक डाक्टरों के पास दो से तीन औषधालय का प्रभार है। धुरसेना में पदस्थ डॉ. प्रदीप के पास खेड़ा व कुंरा का प्रभार है। मउ में पदस्थ डॉ. प्रकाश के पास छिरहा व पेंडीतराई का प्रभार, खाती के डाक्टर पंकज दुबे के पास खैरझिटीकला का प्रभार, बोरतरा के डॉ. अनूप के पास परपोड़ी व बेलतरा का अतिरिक्त प्रभार है। धनौरा में पदस्थ भोजराम देवांगन बदनारा का प्रभार है। जिले में बेरला व बेमेतरा ब्लाक में आयुर्वेद डाक्टर पर्याप्त है। वहीं साजा व नवागढ़ ब्लाक में कमी है।

औषधालय सहायक के 27 पद में से 15 में स्टाफ
प्रत्येक औषधालय के लिए एक चिकित्सक, एक फार्मसिस्ट व ओपीडीएस व एक सहायक का पद स्वीकृत किया गया है। जिसमें से जिले में 27 डॉक्टर के स्वीकृत पद में से 14 कार्यरत है। वहीं 13 पद रिक्त है। फार्मासिस्ट के 27 पद में से 24 में कार्यरत है। वहीं औषधालय सहायक के 27 पद में से 15 में स्टाफ है। वहीं 12 में पद रिक्त है। ओपीडीएस के 27 पद में 23 में स्टाफ है। वहीं 4 पद रिक्त है। जिले में फंड व मानव संसाधन की कमी होने की बात भी सामने आया है।

आयुर्वेेद ग्राम का कॉन्सेप्ट पहले ही फेल हो चुका
गांवों में उपचार के लिए जिले के कुछ गांवों को आयुर्वेद ग्राम का दर्जा देकर गांव में आयुर्वेद को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा था। बढ़ावा नहीं मिल पाने की वजह से जिले में आयुर्वेद गांव का कान्सेप्ट पूर्व में ही फेल हो चुका है। योजना के असफल होने के बाद जिले के सभी 27 औषधालयों को सामान्य तरीके से संचालित किया जा रहा है जहां पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्ययोजना नहीं बनायी गई है।

प्रारंभ नहीं हो पाया आयुष विंग
जिले में औषधालय का संचालन जब प्रारंभ किया गया तब दुर्ग व बालोद जिले में भी प्रारंभ किया था, जिसके बाद दोनों जिले में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अलग से आयुष विंग का संचालन किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में संचालित विंग में एमडी आयुर्वेद, बीएएमएस डाक्टर व अन्य कार्यारत है जहां पर बेहतर उपचार का लाभ लोगो को मिल रहा हैै पर बेमेतरा जिले में 10 साल बाद भी आयुष विंग प्रारंभ नहीं किया जा सका है। बहरहाल दिगर चिकित्सा पद्धति से उपचार कराने वालों को आयुर्वेद का विकल्प देने के लिए प्रारंभ की गई योजना फंड व मैनपावर की कमी की वजह से सफल नहीं हो पा रहा है।

आधी-अधूरी व्यवस्था के कारण दिक्कत
बताना होगा कि प्रदेश में 2008-09 से आयुष के तहत औषधालय शासन द्वारा खोले गए है। जिले में प्रथम चरण में 9 औषधालय और दूसरे चरण में 8 व तीसरे चरण में 10 औषधालय प्रारंभ किया गया है जिसमें में अब तक जिले के 27 औषधालय के पास भवन है। जिले के बदनारा, भिभौरी व आनंदगांव औषधालय भवन जर्जर हो चुका है। 6 केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेन्टर में संचालित किया जा रहा है। जिसकी वजह से कामकाज का संचालन प्रभावित हो रहा है। विभाग के पास अपना स्वयं का भवन भी नहीं है। जिला कार्यालय के करीब एक भवन में बीते कई साल से अस्थाई तौर पर कार्यालय का संचालन किया जा रहा है।
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में 27 डॉक्टर में से 16 में आयुर्वेद डॉक्टर पदस्थ है, डॉक्टरों की मांग किया गया है, जिले में पर्याप्त फार्मासिस्ट है।

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