दन्तेवाड़ा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
किरंदुल, 18 जनवरी। एनएमडीसी किरंदुल परियोजना में श्रमिकों के हितों एवं अधिकारों के लिए कार्यरत श्रमिक संघ संयुक्त खदान मजदूर संघ किरंदुल के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने एनएमडीसी की किरंदुल परियोजना की खदान 11 बी में मेंटेनेंस एंड रिपेयर कॉन्ट्रैक्ट की स्कीम के विरोध में किरंदुल परियोजना की 11 बी खदान में परियोजना द्वारा लाई गई 4 नई डंपरों के उद्घाटन कार्यक्रम से पहले डंपर के सामने बैठ कर किया विरोध प्रदर्शन। नहीं होने दिया नए डंपर के उद्घाटन का कार्यक्रम।
श्रमिक संघ एसकेएमएस (एटक) के अध्यक्ष के. साजी ने कहा कि आउटसोर्सिंग एवं मेंटेनेंस एंड रिपेयर कॉन्ट्रैक्ट के विरोध में आज हमारे श्रमिक संघ द्वारा 4 नई डंपरों के उद्घाटन के पूर्व 11 बी खदान में नई डंपरों के सामने बैठकर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी एवं विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है । साजी ने कहा की मेंटेनेंस एंड रिपेयर कॉन्ट्रैक्ट स्कीम के कारण प्रबंधन नई भर्ती नहीं कर रहा है जिस कारण रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं।
एसकेएमएस के कार्यकारी अध्यक्ष मधुकर सीतापराव ने कहा कि दो-तीन साल पूर्व भी 11बी माइंस में कोमस्तु डंपर लाया गया था। जिसे मार्क पद्धति के तहत 8 साल के लिए मेंटेनेंस के लिए आईएम को दिया गया। उस समय भी हमारे मजदूर संघ (एटक) ने विरोध किया था, परंतु हमारे साथी यूनियन ने सहयोग नहीं किया परिणाम स्वरूप आज भी मार्क पद्धति से उन डंपरों को चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ऐसा ही रहा तो आगे मेंटेनेंस का पूरा कार्य आउट सोर्स से किया जाएगा। और कोर एक्टिविटी के भाग को प्राइवेट कर दिया जाएगा। जिससे रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएंगे। तथा परियोजना में कार्यरत मेंटेनेंस असिस्टेंट की पदोन्नति का रास्ता भी बंद हो जाएगा, और आज पुन: परियोजना द्वारा चार डंपर मार्क पद्धति से लाया जा रहा है। इसके बाद दो साल भी इसी पद्धति से लाए जाने की बात सुनाई पड़ रही है। इसी प्रकार यदि मार्क में ड्रिल, डोजर, व ग्रेडर आदि लाए जाएंगे तो, निजीकरण को इससे बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा, आज परियोजना के मरम्मत कार्य को आउट सोर्स से किया जा रहा है। कल धीरे-धीरे ऑपरेशन का कार्य भी आउट सोर्स से किए जाने की कोशिश की जा सकती है। इसलिए इसे रोकना अति आवश्यक है।
विदित है कि किरंदुल और बचेली परियोजना में वेस्ट माइनिंग को भी आउट सोर्स करने की कोशिश की गई थी। जिसका हमारी यूनियन ने भारी विरोध किया था। और आज वेस्ट माइनिंग परियोजना के कर्मचारियों द्वारा ही किया जा रहा है। इसी तरह हम आज मेंटेनेंस एंड रिपेयर कॉन्ट्रैक्ट (मार्क) का पुरजोर विरोध करते हैं। ताकि परियोजना में मेंटेनेंस का कार्य आउट सोर्स या निजीकरण से ना किया जाए। परियोजना में कई पद रिक्त पड़े हुए हैं मजदूर संघ ने बार-बार मांग की है। इन रिक्त पदों के तत्काल भर्ती की जाए। परंतु परियोजना द्वारा जानबूझकर लेटलतीफी की जा रही है। ताकि आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिल सके और परियोजना सारे कार्य आउटसोर्सिंग के माध्यम से करवा सकें।
कार्यकारी अध्यक्ष मधुकर सीतापराव ने कहा कि हम निजीकरण का विरोध करते हैं और ऐसे आउटसोर्सिंग को परिजनों में प्रवेश करने नहीं देंगे। तभी परियोजना में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकेगा और परियोजना का कार्य भी सुचारू रूप से चल सकेगा।
इस अवसर पर संयुक्त खदान मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मधुकर सीतापराव, कार्यालय सचिव नरसिम्हा रेड्डी, संगठन सचिव नोमेश्वर राव, उपेंद्र नाथ त्रिपाठी, देवरायालु, सुमित धर, पी किरण, रोशन मिश्रा, कुमार प्रधान, रामू, ईश्वर राव आदि साथी उपस्थित थे।