रायगढ़

नन्हें तेंदुआ शावकों के मिले पदचिन्ह, जंगल से सटे दर्जन से अधिक गांवों में मुनादी, शिकारियों को रोकने गश्त भी बढ़ाई
19-Jan-2023 7:07 PM
नन्हें तेंदुआ शावकों के मिले पदचिन्ह, जंगल से सटे दर्जन से अधिक गांवों में मुनादी, शिकारियों को रोकने गश्त भी बढ़ाई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 19 जनवरी। नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला और सारंगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से तेंदुआ देखे जाने की खबर मिलती रही है। तेंदुए द्वारा ग्रामीणों के मवेशियों के अलावा वन्य जीवों को अपना शिकार बनाने की भी बात सामने आ चुकी है। जिसके बाद से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त हो गया था। वहीं अब एक अन्य जानकारी के मुताबिक गोमर्डा के जंगलों में नन्हें मेहमानों के भी आने की खबर मिल रही है। जिसके मद्देनजर वन विभाग की टीम जंगल से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में मुनादी कराकर ग्रामीणों को सचेत कर रही है। साथ ही साथ शिकारियों को रोकने एंटी स्नेयरिंग गश्त भी बढ़ा दी गई है। 

मिली जानकारी के मुताबिक नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण में वन्य प्राणियों के अवैध शिकार के अब तक कई मामले सामने आ चुके हैं। गोमर्डा क्षेत्र तेंदूढाढ़, भुरईपानी, चलचला, राजादैहान समेत दो दर्जन से अधिक गांव आते हैं और इन ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से यहां तेंदुआ को विचरण करते हुए कई बार देखा गया है। हाल फिलहाल में सोशल मीडिया के जरिये बरमकेला के जंगलों में तेंदुए को देखे जाने का वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यहां के जंगलों में 20 से अधिक तेंदुआ विचरण कर रहे हैं। खासकर कक्ष क्रमांक 910, 911, 900, 901, 913 में तेंदुआ की मौजूदगी देखी जा रही जिसके तहत गांव में मुनादी कराई जा रही है। 

वन विभाग के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई से अक्टूबर माह तक वन्य प्राणियों का प्रजनन काल चलता है। इस दरम्यान यहां के जंगलों में नये मेहमानों का आगमन होता है। जंगलों में गश्त करने वाले वन कर्मियों के अनुसार पिछले तीन से चार दिनों में यहां के जंगलों में तेंदुए के दो शावल को देखा गया है। जंगलों में उनके पदचिन्ह भी मिले हैं इनकी संख्या और अधिक हो सकती है। गोमर्डा के जंगलों में एक आकलन के अनुसार यहां 20 से 22 नर व मादा तेंदुआ हैं। जंगल में उनके लिये भोजन और पानी की पर्याप्त मात्रा है। जिस वजह से उनके भटककर रिहायशी इलाकों में पहुंचने की संभावना काफी कम है।

वन विभाग के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार गोमर्डा के जंगलों में दुर्लभ प्रजाति के शिकार करने वाले सोनकुत्ते भी देखा गया है। ये ओडिसा के जंगलों से बारनवापारा अभ्यारण होते हुए गोमर्डा पहुंचे है। इनकी संख्या तकरीबन 10 के आसपास है। इन कुत्तों में होने वाली एक बीमारी के कारण इनकी संख्या अब विलुप्ती के कगार पर पहुंच रही है। 

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