बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 20 जनवरी। जिला अस्पताल में मानसिक रोग का उपचार कराने वालों की संख्या पूर्व की अपेक्षा बढ़ा है। जिला अस्पताल में पूर्व में प्रतिमाह करीब 280 से 300 मरीज पहुंचते थे जिनकी संख्या 450 से 470 तक हो रहा है। जिले में तनाव, अवसाद, नशा व अन्य कारण से लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है। जिसकी वजह से जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या पूर्व की अपेक्षा अधिक दिखाई देने लगा है। जानकारों ने योग, व्यायाम, मेडिटेशन की ओर ध्यान केन्द्रित कर बचने का उपाय बताया।
दैनिक जीवन में मानसिक रूप से परेशान लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब मानसिक चिकित्सा के तहत उपचार व सलाह जिला अस्पताल में दिया जा रहा है। साथ ही अन्य कारण सेे विक्षिप्त व्यक्तियों एवं तनाव ग्रस्त व्यक्तियों का भी उपचार एवं निदान किया जा रहा है।
मानसिक कारण से परेशान, नशा करने वाले व्यक्ति भी इस श्रेणी में शामिल हो रहे हैं जहां पर मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगो का जांच, उपचार, परामर्श, दवाई, निशुल्क दिया गया। जिला कार्यालय से प्राप्त आकड़े के अनुसार बीते वर्ष अप्रैल से लेकर दिसंबर तक जिला अस्पताल के एनसीडी क्लिनिक में 3671 मरीजों का उपचार किया गया। इस दौरान नवंबर माह में मानसिक उपचार कराने के लिए 754 मरीज जिला अस्पताल के एनसीडी क्लीनिक पहुंचे थे। पूरे 8 माह में प्रत्येक माह औसत 450 मरीज उपचार के लिए पहुंचे हैं। जिला अस्पताल में प्रत्येक शनिवार को लगाये जाने वाले ओपीडी में मरीज पहुंचते है।
शिक्षक कहते है योग व्यायाम कराएं
बच्चों को प्रकृति से जोडक़र पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय करने वाले शिक्षक दुर्गाशंकर सोनी बताते हैं कि बच्चों को खाली समय में गार्डनिंग की दिशा में जोड़ा जाना चाहिए जिससे समय का सही उपयोग हो सके । साथ ही सभी आयु वर्ग के लोगों को योग, व्यायाम आदि करना चाहिए जिससे इस तरह की समस्याओं से राहत मिल सकती है।
मोबाईल भी एक कारण मनोविकार का
मानसिक रोगों में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग करना भी एक कारण बनते जा रहा है। विशेषकर किशोरों और युवाओं में मानसिक रोग बढऩे की प्रमुख वजह मोबाइल की लत है। मनोचिकित्सकों के यहां पहुंचने वाले छोटी आयु के मरीजों में से आधे से ज्यादा मोबाइल फोन की लत के चलते पहुंचते हैं। जिसमें गेम खेलना और ज्यादा देर तक लगातार चैटिंग करना प्रमुख कारण है। इस तरह की स्थिति से दूर रहने के लिए मरीजों के परिजनों को जागरुकता बरतने और योग, व्यायाम करने की सलाह दिया जा रहा है। कम आयु याने 10 से 30 वर्ष की आयु में मरीज पहुंच रहे हैं। उनमें से लगभग 70 फीसदी को मोबाइल फोन ने प्रभावित किया है।
डॉ.योगेश दुबे ने बताया कि वर्तमान समय में धीरे-धीरे लोगों को मोबाइल फोन की लत लग रही है। प्रतिदिन दो से छह घंटे तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। फिर भी मन नहीं भरता। जिसके कारण वे अनिद्रा का शिकार हो रहे हैं और उसके दुष्प्रभाव के चलते चिड़चिड़ापन, सिरदर्द रहना, बात-बात में गुस्सा होना, डिप्रेशन, पढ़ाई में मन नहीं लगने जैसी समस्या से घिर रहे हैं। कभी-कभी तो ऐसे लोग खुद को नुकसान भी पहुंचाने की कोशिश करते हैं।