बीजापुर

हिंदी-अंग्रेजी भाषी भी अब आसानी से सीख और बोल पाएंगे गोंडी
20-Jan-2023 9:10 PM
हिंदी-अंग्रेजी भाषी भी अब आसानी से सीख और बोल पाएंगे गोंडी

जिले की 84 फीसदी आबादी बोलती है गोंडी, जिला प्रशासन ने 90 पेज के पुस्तक को किया तैयार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 20 जनवरी।
अब जिले के अंदर का या बाहर का कोई भी व्यक्ति आसानी से अब यहां की स्थानीय गोंडी भाषा को आसानी से सीख या बोल पाएगा और यहाँ के स्थानीय लोगों के साथ बेहतर तालमेल बना पाएगा और उनकी भावनाओं को उनके साथ जुडक़र समझ पाएगा। ये संभव हो पाया है। जिला प्रशासन के पहल पर। यहाँ हिंदी -गोंडी संवाद पुस्तिका का प्रकाशन होने जा रहा है। इस पुस्तक का विमोचन आने वाले 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन के कर्मचारियों ने सारी तैयारी कर ली है।

आकांक्षी जिला सहयोग के प्रोग्रामर लीडर मांशु शुक्ला ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्टर राजेंद्र कटारा के मार्गदर्शन में इस पुस्तक को तैयार किया गया है। इस पुस्तक में अक्षर, शब्द,वाक्य और कहानी को आसानी से बना पाएंगे। इस पुस्तक में स्थानीय मँडई, मेला,गोंडी की लोककथाएं और लोकगीत के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई है। जैसे उदहारण के लिए हिंदी में शेर को शेर कहते है तो अंग्रेजी में टाइगर तो ऐसे ही गोंडी में शेर डूव कहलाएगा, वैसे ही बंदर को गोंडी में कोवे कहेंगे। पहले इस पुस्तक की 1000  कॉपी छापने के लिए भेज दिया गया है। इस बुक की फाइनल एडिटिंग का काम लगभग पूर्ण हो चूका है। 

इस पुस्तक के बारे  कलेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने बताया कि यह हिंदी -गोंडी संवाद पुस्तिका 90 पेज की होगी। इस पुस्तक को यहाँ के 20 स्थानीय और गोंडी भाषा में अच्छी पकड़ रखने वाले शिक्षकों ने मिलकर तैयार किया है। इस पुस्तक को प्रकाशन करने का एक खास मकसद यह है कि जिले की 84 प्रतिशत आबादी  गोंडी भाषा का इस्तेमाल करती है। 

आगे बताया कि दक्षिण छोर में बसे बीजापुर जिले को महाराष्ट्र एवं तेलंगाना की सीमाएं स्पर्श करती है। यह धुर नक्सल प्रभावित एवं घोर संवेदनशील जिला है, लेकिन जिले में विकास की असीम संभावनायें है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं लागू है एवं विभागों द्वारा अनेक जन्नोमुखी कार्यक्रम प्रारंभ किये गए हंै।

इन कार्यक्रमों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर बेहतर रूप से जारी है तथा ऐसे कल्याणकारी योजनाओं का समस्त लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। इन्हें बेहतर एवं सम्यक  रूप से फलीभूत किया जा सकता है। इसकी पड़ताल और निगरानी जरुरी है। इस कारण जिले में प्रमुखता से बोली जाने वाली लोक बोली गोंडी का व्याकरण तैयार किया गया है। 

इस पुस्तक की सहायता से जिले की आम जनता के साथ सीधे संपर्क स्थापित हो सकेगा और इस पुस्तक के जरिये कोई भी हिंदी या अंग्रेजी भाषी  बहुत ही सहज़ और सरल तरीके से गोंडी भाषा को सीख पाएंगे।

अमेजन किंडल ऐप पर भी मिलेगी यह किताब
हिंदी-गोंडी संवाद नाम की यह पुस्तक अब किंडर, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे एप पर भी यह किताब उपलब्ध होगी। जिसे कोई भी व्यक्ति कुछ रुपये देकर इस किताब को खरीद पाएगा।

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