रायगढ़

जिपं में शौचालय निर्माण में 2 करोड़ का बंदरबाट
21-Jan-2023 3:21 PM
जिपं में शौचालय निर्माण में 2 करोड़ का बंदरबाट

सीईओ से शिकायत, 2 साल बाद पर्दाफाश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 21 जनवरी।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत आई करोड़ों की राशि के बंदरबांट का जिला पंचायत रायगढ़ में मामला सामने आया है। बताया जाता है कि ग्राम पंचायतों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत इस वादे के साथ खाते में पैसा डाला गया कि वे शौचालय नहीं बनवाएंगे और उस मद का पैसा आधा-आधा बांट लेंगे। दो साल के बाद इस मामले का भंडाफोड़ तब हुआ जब उसकी शिकायत जिला पंचायत सीईओ से हुई।

मामला धर्मजयगढ़ विकासखंड का है जहां से कुछ महीने पहले एक शिकायत आई कि आईएचएचएल (इंडियन हाउस होल्ड लैट्रिन) के मद के जो पैसे ग्राम पंचायतों को भेजे गए हैं, उसमें एक तो जिला पंचायत की ओर से होल्ड लगा दिया गया है, और होल्ड हटाने के एवज में पैसे मांगे जा रहे हैं। शिकायत यह भी थी कि पंचायत में पैसे तो चले गए, लेकिन शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ और पैसे भी खत्म हो गए। इसके बाद मामला सीईओ जिला पंचायत अबिनाश मिश्रा के पास पहुंची।  

जांच के लिए तात्कालिक रूप से एक टीम बनाई गई। जांच में यह बात सामने आई कि मामले में 20 लाख का लेनदेन किया गया है। मामला खुलने के बाद इस मामले के मुख्य आरोपी जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन को ब्लॉक को ऑर्डिनेटर बनाकर खरसिया भेज दिया गया। एक तरह से डिमोशन कर दिया गया। इसके बाद मामले की परत दर परत खुली तो सम्पूर्ण जांच के लिए एसडीएम धर्मजयगढ़ के नेतृत्व में एक और टीम बनाई गई।

बताया जाता है कि यह खेल कई सालों से चल रहा था, इसी बात इसी बात की भनक जब पूरे सीईओ जिला पंचायत रवि मित्तल को हुई तब उन्होंने निमिष साव का डिमोशन करके खरसिया भेज दिया था लेकिन उनके ट्रांसफर होते ही निमिष साव वापस जिला पंचायत आ गया। कहा तो यह भी जाता है कि खरसिया से उसे वापस आने का कोई आदेश ही नहीं था लेकिन वह वापस पुराने पद पर जम गया था, हालांकि अधिकारियों द्वारा पुष्टि नहीं होने से मामला बाहर नहीं आ पाया।

आगे इस मामले की परत जांच के बाद और खुलने की उम्मीद है। जिला पंचायत सीईओ अबिनाश मिश्रा ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि शिकायत के आधार पर जांच के लिए टीम बनाई गई है। एसडीएम धर्मजयगढ़ के नेतृत्व में जांच की जाएगी। जिस पर आरोप लगा उसे जिला पंचायत से हटा दिया गया है ताकि वह जांच प्रभावित न कर सके। हालांकि अभी से कोई निष्कर्ष निकालना सही नहीं है जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सब कुछ साफ होगा।

बताया जाता है कि 62 गांव में 1669 शौचालय बनाने के लिए 2 करोड़ 28 हजार पंचायतों के खाते में डाला गया था जिसमें 2021 में शौचालय में सुधार के लिए 75 लाख 73 हजार की राशि 13 ग्राम पंचायतों को दिया जाना था। आरोप है कि जिन पंचायतों को यह राशि दी जानी थी उसके बजाय दूसरे ग्राम पंचायत को राशि अंतरित कर दी गई।
 

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