बालोद

सिंधु समुदाय ने अमर शहीद हेमू कल्याणी का शहादत दिवस मनाया
22-Jan-2023 6:01 PM
सिंधु समुदाय ने अमर शहीद हेमू कल्याणी का शहादत दिवस मनाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दल्ली राजहरा, 22 जनवरी। नगर के सिंधु समुदाय के लोगों ने अमर शहीद हेमू कल्याणी के शहादत दिवस के अवसर पर स्थानीय सिंधु भवन में उपस्थित होकर उनके तेलचित्र पर दीपप्रज्वलित व श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके बलिदान को याद किया।

समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि अमर शहीद हेमू कालाणी में राष्ट्रवाद की भावना का संचार बचपन में ही हो गया था। इतिहास गवाह है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में वीर सेनानियों ने, मां भारती को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से, देश के कोने -कोने से भाग लिए थे।

इन वीर सेनानियों में से भारत के कई वीर सपूतों ने तो मां भारती के श्री चरणों में अपने प्राण भी न्योशावर कर दिए थे। भारत के इन्हीं वीर सपूतों में अमर शाहीद हेमू कालाणी का नाम भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है, क्योंकि उन्हें बहुत ही कम उम्र मात्र 19 वर्ष की आयु में दिनांक 21 जनवरी 1943 को क्रूर अंग्रेजी शासन द्वारा फांसी दे दी गई थी।

  वहीं जानकारी में बताया कि 23 मार्च 1923 को हेमू कालाणी का जन्म सिन्ध प्रांत के सक्खर जिले में सवचार स्थान पर पेसूमल कालाणी एवं माता जेठी बाई कालाणी के घर पर हुआ था।

हेमू कालानी बचपन में ही सर्वगुण संपन्न व होनहार बालक थे, जो अपनी पढ़ाई लिखाई में तेज तर्रार होने के साथ साथ एक अच्छे तैराक, तीव्र साइकिल चालक तथा अच्छे धावक भी थे। वह कई बार तैराकी में भी कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके थे।

बचपन में ही हेमू कालाणी स्वराज्य सेना नामक छात्र संगठन में सम्मिलित होकर इस संगठन के नेता बन गए थे। इन सभी विशेषताओं के ऊपर, हेमू कालाणी अपने बचपन काल से ही राष्ट्रवाद की भावना से भी ओतप्रोत थे एवं प्रारम्भ में केवल 7 वर्ष की आयु में ही तिरंगा झंडा लेकर उसे लहराते हुए अंग्रेजों की बस्ती में अपने साथियों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व करते थे।  इसके बाद तो हेमू कालाणी ने अंग्रेजों की क्रूर हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प ही ले लिया था और राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रियाकलापों में भी भाग लेना शूरू कर दिया था। अत्याचारी अंग्रेजों द्वारा संचालित सरकार के विरुद्ध छापामार गतिविधियों में भाग लेकर उनके वाहनों को जलाने में हेमू कालाणी अपने साथियों का नेतृत्व भी करने लगे थे। यह भी एक अजीब संयोग ही कहा जाएगा कि हेमू कालानी की जन्मतिथि एवं अमर शहीद श्री भगतसिंह की पुण्यतिथि एक ही है, अर्थात 23 मार्च।

वर्ष 1942 में मात्र 19 वर्ष की अल्पायु में हेमू कालाणी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो के नारे को पूरे सिंध में गूंजायमान कर दिया था। हेमू कालाणी के अदम्य साहस एवं उत्साह ने तो पूरे सिंधवासियों में ही स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए जोश भर दिया था।

हेमू कालाणी द्वारा अपनी किशोरावस्था में ही विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आग्रह सिंधवासियों से किया जाता था एवं उस समय पर भी सिंध प्रांत के नागरिकों में स्वावलम्बन का भाव जगाने का प्रयास हेमू कालाणी द्वारा किया जा रहा था।

आजादी के दीवाने मात्र 19 साल के इस जवान का हौसला ही था कि पकड़े जाने व घोर यातनाओं को सहन करने के बाद भी उसने अंग्रेजों को यह राज नहीं बताया कि पटरियों के नट बोल्ट खोलने में उसके और कौन कौन साथी थे।

14 अक्टूंबर 1983 को भारतीय डाक व तार विभाग द्वारा अमर शहीद श्री हेमू कालाणी की स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया था एवं भारत के संसद भवन में 21 अगस्त 2003 को हेमू कालाणी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा का लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के द्वारा किया गया था।

सिंधु समाज के लोगों नें केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों से भी आग्रह है कि आजादी के दीवाने अमर शहीद हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी समारोह (दिनांक 23 मार्च 2022 से 23 मार्च 2023 तक) को, विशाल रूप में मनाया जाकर, यादगार बनाया जाना चाहिए ताकि देश के युवा अमर शहीद श्री हेमू कालाणी के बलिदान से प्रेरणा लेकर समय आने पर मां भारती के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर करने को तैयार रहें।

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