सूरजपुर
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले 39 सेनानियों का नाम ढूंढ निकाला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 24 जनवरी। सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों को ढूंढने वाले अजय चतुर्वेदी ने बताया कि आज हम गणतंत्र दिवस की 74वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। इस स्वर्णिम अवसर को पाने के लिए देश के अनेक वीर शहीदों ने हंसते हंसते कुर्बानियां दी हैं। सरगुजा अंचल के वीर सपूतों ने भी कदम से कदम मिलाकर देश को आजाद कराने में अपना सहयोग दिया है।
आजादी को पाने के लिए देश के वीर सपूतों ने हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर कर दिये। इसके पीछे आजादी के दीवानों की अमर बलिदान गाथा रही हैं। भारत के ऐसे वीर सपूतों की कुर्बानी, अविस्मरणीय यादें हमेशा प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी। सरगुजा अंचल के वीर सपूतों ने भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के रूप में देश भक्ति का परिचय दिया है।
सरगुजा की धरती कुछ वीर सपूतों की जन्मभूमि तो कुछ वीर सपूतों की कर्म भूमि रही है। यहां के मूल निवासी अनुसूचित जनजाति समुदाय के वीर सपूतों ने भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में आजादी की लड़ाई में आहुतियां दी हैं। सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के कुछ नाम प्रकाश में हैं, तो कुछ आज भी गुमनाम हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कार्य कर रहे जिला पुरातत्व संघ सूरजपुर के सदस्य राज्यपाल पुरस्कृत व्याख्याता अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सरगुजा अंचल के 39 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम प्रकाश में आये हैं। जिनमें सरगुजा जिले से 15, कोरिया जिले से 1, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले से 10, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले से 3 और जशपुर जिले से 8 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम शामिल हैं।
सरगुजा अंचल में गहन शोध करने पर और भी कई नाम प्रकाश में आ सकते हैं। इनमें से सरगुजा गजेटियर 1989 में 26 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम दर्ज हैं। किन्तु आज भी अनेक गुमनाम हैं। ऐसे वीर सपूतों को प्रकाश में लाना ही ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम की सार्थकता है। सरगुजा रियासत के सूरजपुर में ऐसे ही एक वीर सपूत बाबू परमानंद जी थे। जिन्होंने देश की खातिर महज 18 वर्ष की आयु में ही हंसते-हंसते जेल में प्राण न्यौछावर कर दिये।
मैंने सरगुजा अंचल के ज्ञात,अल्प ज्ञात तथा अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को ढूंढा और उनके परिवार वालों से मिलकर उनकी संपूर्ण जीवन गाथा लिखकर इतिहास के पन्नों में लाने का प्रयास कर रहा हूं।
मुझे आशा है कि इस पुनीत कार्य में सभी वर्ग के लोग सहयोग करेंगे और ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो देश की खातिर शहीद हुए उनकी जानकारियों को सांझा करेंगे ताकि सरगुजा अंचल के इतिहास को स्वर्णिम बनाया जा सके।
आजादी की लड़ाई में जनजाति समुदाय का योगदान
आजादी की लड़ाई में सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग देश को आजाद कराने में अविस्मरणीय योगदान दिये हैं। सरगुजा आदिवासी बहुल अंचल है, निश्चित रूप से यहां की जनजाति समुदाय के लोग भी अपने देश की खातिर आजादी की लड़ाई में कुर्बानियां दी होंगी। सरगुजा गजेटियर में सरगुजा अंचल से जनजाति समुदाय के 3 स्वतंत्र संग्राम सेनानियों के नाम मिलते हैं। जिसमें कुसमी के स्वर्गीय श्री महली भगत, स्वर्गीय श्री राजनाथ भगत और गांधीनगर अंबिकापुर के स्वर्गीय श्री माझी राम गोड का नाम शामिल है।
सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर पुस्तक प्रकाशित
अजय कुमार चतुर्वेदी द्वारा लिखित पुस्तक सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का प्रकाशन भी हो चुका है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवनी पर आधारित पुस्तक का प्रकाशन सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। अजय कुमार चतुर्वेदी द्वारा लिखित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन गाथा का प्रसाण आकाशवाणी अंबिकापुर से विगत एक वर्षों से किया जा रहा है। इस अनुकरणीय पहल से अंचलवासी योगदान को जान पा रहे हैं।
चौक, चौराहे या सार्वजनिक स्थलों का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम से हो-
देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसे वीर शहीदों या सेनानियों को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है। सरगुजा अंचल के ऐसे वीर शहीदों या सेनानियों को चिन्हित कर चौक, चौराहे या सार्वजनिक स्थलों के नामकरण या प्रतिमा स्थापित करने से आम जनता प्ररेणा लेगी और देश सेवा के लिए प्रेरित होगी और वीर शहीदों या सेनानियों का सम्मान भी होगा।