गरियाबंद

गणतंत्र के 73 साल बाद भी राजिम जिले की मांग नहीं हुई पूरी
25-Jan-2023 3:27 PM
गणतंत्र के 73 साल बाद भी राजिम जिले की मांग नहीं हुई पूरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम,  25 जनवरी।
नवापारा-राजिम सहित अंचल के लोग राजिम को जिला बनाने की मांग काफी समय से कर रहे हंै, लेकिन अब तक फलीभूत नहीं हो सका है। क्षेत्र की जनता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से 26 जनवरी के दिन राजिम को जिला बनाने की घोषणा करने की उम्मीद जता रहे हैं।

प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ नगरी कमलक्षेत्र पद्मावतीपुरी राजिम गणतंत्र के 73 वर्ष बाद भी जिला नहीं बन पाया है, जबकि इनकी मांग वर्षों से हो रही है। इस नगरी को तीसरी-चौथी शताब्दी का माना गया है। सीताबाड़ी में हुए खुदाई से इनके प्रमाण मिले हैं, यहां बड़े-बड़े पत्थरों से निर्मित मकान की दीवाल, बस्तियां, चौराहे, पानी निकासी के लिए नाली की व्यवस्था तथा उसी समय के औजार एवं बर्तन इत्यादि प्राप्त हुए हैं।

 पुरातत्वविद अरुण शर्मा के नेतृत्व में खुदाई हुई। यहां के प्राचीन कालीन मंदिर में उत्कीर्ण शिलालेख छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारे में जानकारी देती है कि किस सन में कौन से महाराजा या फिर वंश राज कर रहे थे। यहां के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर, संगम के मध्य स्थित कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर, महामाया रोड पर स्थित रामचंद्र देवल कला नक्काशी एवं कलाकृति के लिए पूरे हिंदुस्तान में प्रसिद्ध है। जिसके परिणाम स्वरूप देशभर से लोग मंदिरों की ऐतिहासिकता को निहारने के लिए आते ही रहते हैं। यहां तीन नदियों का संगम है जिनके कारण त्रिवेणी संगम की मान्यता प्राप्त है परिणामस्वरूप जिस तरह से इलाहाबाद वर्तमान प्रयाग, गया, कांशी, उज्जैन, हरिद्वार नासिक इत्यादि तीर्थ नगरी में अस्थि विसर्जन की परंपरा है उसी भांति राजिम के त्रिवेणी संगम को प्रयागराज होने का मान्यता प्राप्त है इसीलिए लोग अस्थि विसर्जन, पिंड दान, स्नान, दीपदान, दर्शन पूजन इत्यादि कृत्य बड़ी संख्या में होते रहते हैं। देशभर में प्राचीन नगरी की ख्याति बड़े तीर्थ स्थल के रूप में है।

भारत भूमि के लगभग सभी तीर्थ स्थल जिला मुख्यालय के रूप में अस्तित्व में आ चुके हैं, परंतु राजिम नगरी के साथ विडंबना ही है कि अभी तक वह जिला नहीं बन पाया है। जानकारी के मुताबिक इनकी मांग पिछले 32 सालों से लगातार हो रही है। राजिम वैसे तो विधानसभा मुख्यालय है।

अविभाजित  मध्यप्रदेश के समय 80 के दशक में तीन बार मुख्यमंत्री दिए हैं। एक बार जेल मंत्री तथा छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद एक बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री देने वाला यही राजिम विधानसभा क्षेत्र है। प्रदेश में जितने भी मुख्यमंत्री हुए हैं, सभी के निर्वाचन क्षेत्र लगभग जिला के रूप में आ चुके हैं और राजिम अभी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लडऩे के लिए मजबूर है।

राजिम धर्म क्षेत्र के साथ साथ राजनीति के क्षेत्र में भी अपना विशेष स्थान रखता है। यह स्थल सामाजिक बैठक के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। लगभग सभी समाज की बैठकें राजिम में होती है। आर्थिक दृष्टिकोण से भी इस नगरी ने अनेक इतिहास रचे हैं? नदी के दो पाट पर दो प्रमुख शहर बसा हुआ है। राजिम और नवापारा संगम के किनारे पर स्थित है लेकिन दोनों अलग-अलग जिला में आते हैं राजिम गरियाबंद जिला तथा नवापारा रायपुर जिला का हिस्सा है। दोनों को जोडक़र जिला की मांग जोर पकड़ी है। परंतु गत दिनों भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान राजिम पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिला बनाने के प्रश्न पर साफ इंकार कर दिया। इससे यहां के करीब तीन लाख जनता हताश नहीं हुए हैं बल्कि उनके विश्वास प्रगाढ़ हो गए हैं कि राजिम को जिला बनाने का काम यदि कोई करेंगे तो वह भूपेश बघेल ही है। यहां की जनता को भूपेश बघेल पर पूरा भरोसा है।

उल्लेखनीय है कि गत माह अंतरराष्ट्रीय प्रवचनकर्ता पंडित प्रदीप मिश्रा राजधानी रायपुर पहुंचे थे उन्होंने अपने कथा के दौरान राजिम के पंचकोशी परिक्रमा का विशेष रूप से व्याख्यान किया। उनके कथा में पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राजिम प्रेम स्पष्ट रूप से देखने को मिला। सन् 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बने, तब मात्र 16 जिले थे, उसके बाद 17 जिला और अस्तित्व में आए। इस तरह से कुल 33 जिला हो गए हैं।

पता चला है कि छत्तीसगढ़ में 36 जिला ही होंगे अर्थात सरकार को 3 जिला और बनाना है वह तीन जिला कौन-कौन से हो सकते हैं। किसी को जानकारी नहीं है लेकिन राजिम क्षेत्र के लोगों को भूपेश पर भरोसा की 3 में से 1 जिला राजिम ही बनेगा। उम्मीद किया जा रहा है के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 26 जनवरी को यह तोहफा प्रदान करें।

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