बलौदा बाजार

भाटापारा, 29 जनवरी। प्रति वर्ष गाँधी जी के शहादत दिवस को उनके कुष्ठ मरीजों के प्रति करुणा को कुष्ठ दिवस के रूप में याद किया जाता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कुष्ठ सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के साथ जो भेदभाव शासन ने किया। सातवें वेतनमान तक उत्पन्न वेतन विसंगति की सटीक जानकारी छ ग. के तत्कालीन मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव सभी चिकित्सक को थी। किसी ने कुष्ठ कर्मचारियों की फरियाद सुनना दूर रहा इस केडर के कर्मचारियों को डाइड केडर बनाकर शासन ने अपना पाखंड रूप दिखा दिया। वेतन विसंगति के गठित तिवारी कमेटी की अनुशंसा को नहीं मानकर कुष्ठ कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया गया। वर्तमान मे जो भी कुष्ठ कर्मचारी कार्यरत है अभी भी संघर्षरत है। प्रतिवर्ष 30 जनवरी को यह कहकर संतोष कर लेते है, बापू आप सत्य के रास्ते मे चले आपको गोली मिली, कुष्ठ कर्मचारी भी आप के रास्ते पर चले और शासन की गोली ना चले तो आश्चर्य?