दुर्ग

राज्य सरकार की तुगलकी फरमान से बच्चों का उत्साह फीका-हर्षा
29-Jan-2023 2:55 PM
 राज्य सरकार की तुगलकी फरमान से बच्चों का उत्साह फीका-हर्षा

छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 29 जनवरी।
भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा कार्यसमिति सदस्य  एव सदस्य जिला पंचायत दुर्ग हर्षा चन्द्राकर ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की एक तुगलकी फरमान के चलते इस साल 26 जनवरी में गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चे अपने सांस्कृतिक कला का प्रदर्शन नहीं कर पाएं। छत्तीसगढ़ सरकार के इस आदेश में कहा गया है कि इस साल कोविड वैरिएंट के फैलाव के दृष्टि से ग्रामीण स्तर पर एव जनपद स्तर पर होने वाले स्कूली बच्चों के देशभक्ति कार्यक्रम एव अन्य सांस्कृतिक का आयोजन पर प्रतिबंध किया गया है। वहीं जिला स्तरीय एव राज्य स्तरीय समारोह में स्कूली बच्चों का कार्यक्रम एव अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा सकता है।

उन्होंने उक्त आदेश का विरोध करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में कोविड का ऐसा कौन सा नया वैरिएंट आया है जो ग्रामीण स्तर पर एव ब्लाक स्तर पर होने वाले कार्यक्रम में असर दिखाएगा एवं जिला स्तर व राज्य स्तर पर होने वाले बच्चों के कार्यक्रम एव अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बेअसर होगा।  जबकि अब कोविड की सारी स्थिति सामान्य हो गई है मुख्यमंत्री स्वयं रोज कई कार्यक्रम कर रहे है, और हर कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या में भीड़ इक_ा हो रही है, रोज गाँवों में जाकर भेंट मुलाकात की कार्यक्रम कर रहे है, तब इनको कोविड प्रोटोकॉल नहीं दिखता शासन स्तर पर हर प्रकार के कार्यक्रम रोज संचालित हो रहे है, हर स्कूलों में सामान्य रूप से बच्चे पढ़ाई कर रहे है, बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में वार्षिक उत्सव के नाम पर बड़े बड़े कार्यक्रम हो रहे है। तब इनको कोविड प्रोटोकाल नहीं दिखता, लेकिन जैसे ही  सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले गांव गरीब के बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है सरकार को कोविड प्रोटोकॉल नजर आने लगती है। सरकार चाहती ही नहीं है कि गांव के गरीबो के बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर ऊंचाइयों को प्राप्त करे। अच्छी कला का प्रदर्शन कर बड़े कलाकार बने। अच्छी खेल का प्रदर्शन कर अच्छे खिलाड़ी बने।  उन्होंने आगे कहा कि वाह रे छत्तीसगढ़ की दोगली कांग्रेस सरकार एक तरफ इंग्लिश मीडियम के नाम पर करोड़ो रूपये की भवन बनाया जा रहा है एक एक कक्षा के लिए शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है,तो दूसरी तरफ हिंदी मीडियम में पढऩे वाले गरीब बच्चों को बैठने के लिए टाटपट्टी तक नसीब नहीं हो पा रही है, 1-5 तक के कई स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है। शासन प्रशासन के ऐसे फरमान से आज शासकीय स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका खो देने से निराशा हाथ लगी है।

 

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