सुकमा

पंचायत प्रतिनिधियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा 65 वर्षीय बुजुर्ग, न रहने को है आवास न मिल रहा पेंशन
30-Jan-2023 2:51 PM
पंचायत प्रतिनिधियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा 65 वर्षीय बुजुर्ग, न रहने को है आवास न मिल रहा पेंशन

आधारकार्ड व कार्ड को सुरक्षित रखने लेते हैं दूसरे के घर का सहारा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कूकानार(सुकमा), 30 जनवरी।
पंचायत के प्रतिनिधियों की लापरवाही का खामियाजा गरीब और बेसहारा किस कदर भुगत रहे हैं, इसकी एक बानगी कूकानार में देखने को मिल रही है।
मिली जानकारी के अनुसार कूकानार पेदापारा के 65 वर्षीय बुजुर्ग सुखदास वर्षों से अपने टूटेफूटे आवास में रहने को मजबूर हैं न ही रसोई गैस मिली और न ही जीवनयापन के लिए शासन द्वारा निर्धारित बेसहारा को मिलने वाली पेंशन की राशि भी नहीं मिलती है,यह सारी सुविधाएं प्राप्त करने हेतु लगातार वो गाँव की सरपंच के पास जाते रहते हैं, पर मात्र आश्वासन के अलावा इन्हें कुछ नहीं मिलता।
 सुखदास बताते हैं कि मैं जब भी सरपंच से इस पर कुछ उचित कार्रवाई करने को कहता हूं तो वो सचिव से मिलो कहते हैं और सचिव से मिलने पर सरपंच से सम्पर्क करने को कहते हैं।

घर इतना जर्जर कि जरूरी कागजात दूसरों के घर में रखते हैं
सुखदास का घर इतना जर्जर हो चुका है कि चारों ओर से दीवारें टूट टूट कर गिर रही है। छप्पर टूटने की वजह से फटी हुई त्रिपाल से बारिश का पानी रोकने का असफल प्रयास करते हैं, उसके बाद भी पानी रिसना नहीं बन्द होता है तो जरूरी कागजात जिनके सहारे शासन की सुविधा मिलने का इंतजार है, उनकी सुरक्षा हेतु दूसरों के घरों का सहारा लेकर पड़ोसी के घर पर रखते हैं।

ग्रामीणों में है पंचायत के प्रति रोष
विदित हो कि सरपंच एवं सचिव के द्वारा लगातार गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के कारण बहुत से ग्रामीणों को शासन की महती योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण पंचायत प्रतिनिधियों के प्रति ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

शौचालय मिला वो भी गुणवत्ताहीन
हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत सुखदास को शौचालय दिया गया था, परन्तु गुणवत्ताहीन निर्माण सामग्रियों से निर्माण होने के कारण कुछ ही दिनों में जर्जर हो गया टँकी का ढक्कन टूट गया है, पाइप भी क्षतिग्रस्त हो चुका है जिसके कारण चलने फिरने में असहाय सुखदास को शौच हेतु बाहर जाना पड़ रहा है

आवास व पेंशन हेतु कैसा होना चाहिए मापदण्ड-दीपिका शोरी
सुकमा जिले की समाज सेविका अधिवक्ता दीपिका शोरी को सुखदास की इस हालत की जानकारी पहुंची तो उन्होंने कहा कि टूटी फूटी दीवारें, चंद कपड़े, टूटेफूटे कुछ बर्तन प्लास्टिक की टूटी बाल्टियां, टूटी चारपाई खाने को दाना नहीं, पूर्ण रूप से शासन से प्राप्त राशनकार्ड पर निर्भर और कैसा  मापदण्ड हो सुखदास का, जब इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच  गरीबो के लिए पक्का  आवास, पेंशन व रसोई गैस मिलेगी यह एक प्रश्न है, जिसका जवाब शासन को देना ही होगा।

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