दुर्ग
संतोष मिश्रा
भिलाई नगर, 30 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। भारतीय जनता पार्टी के भिलाई जिला संगठन में वर्षों बाद हाशिए पर चले रहे जिला अध्यक्ष के रूप में बृजेश बिजपुरिया की ताजपोशी बाद एक संभावना बनी थी कि अब भाजपा भिलाई में गुटबाजी पर विराम लगेगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। हाल यह है कि स्थानीय बड़े नेताओं में खींचतान के चलते मंडलों तक में नियुक्तियां अटकी है।
नियुक्तियां अटकने से खफा कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि लगभग एक डेढ़ दशक से भिलाई में संगठन की कमान जिसके भी हाथ लगी उसे यहां के कुछ बड़े नेताओं में से किसी एक के दरबार में हाजिरी लगानी ही पड़ती रही है, यह भाजपा में एक अघोषित संस्कृति सी चल पड़ी थी। इसके बाद होता यूं रहा कि जिस बंगले की सील लगी उसी के इशारे पर ही संगठन में किस-किस को जगह दिया जाना है, यह तय किया जाता रहा है। और फिर भिलाई में संगठन को बंगले से ही संचालित करने की परंपरा बन गई, अब यही परंपरा वर्तमान जिलाध्यक्ष के लिए संगठन विस्तार को लेकर गले की फांस बन गई है नतीजतन अभी तक पेंच फंसा हुआ है जबकि आस पास सभी जिलों की संगठन बाडी बन काम भी कर रही पर भिलाई में भाजपा थम सी गई है।
भिलाई में भाजपा जिला के अन्य मोर्चा पदाधिकारियों व कार्यकारिणी की लिस्ट को रोके बैठना भी मजबूरी बना हुआ है। विदित है कि प्रदेश भर में महिला मोर्चा के जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की गई? पर भिलाई का नाम आते ही नियुक्ति टल गई। फिर अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष के मामले में भी यही हुआ क्योंकि भेजी गई सूची में शामिल नामों पर जिला के कद्दावर नेताओं की ओर से असहमति बरकरार रही।
महिला मोर्चा के लिए गए संभावित नाम में श्रीमती मिथिला खिचरिया, मंजू दुबे, रश्मि सिंह, उपासना साहू, सरला अचार्या प्रमुख हैं पर मामला सहमति और असहमति के बीच सामंजस्य बिठाने में फंस गया और घोषणा नहीं हो सकी। ठीक उसी तरह अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष की दौड़ में अनवर अली, अब्दुल समद कुरैशी सहित अन्य नाम पर सहमति नहीं बनी। जिला में अहम जिम्मेदारी के लिए सामने आए नामों में रेखराम बंछोर, भागचंद जैन, सेवक राम साहू, योगेंद्र सिंह, मोहन देवांगन, अमर सोनकर, संदीप अग्रवाल, एसएन सिंह, श्याम सुंदर राव, संजय दानी, मिथिलेश यादव अलग अलग नेताओं की पसंद में शुमार तो हैं पर पदपोशी के लिए सहमति यहां भी नहीं बनी।
एक ओर राज्य में कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश में सक्रिय हो चुका है वहीं भिलाई भाजपा संगठन के लिए खींचतान पार्टी को अब भी जनता के बीच हाशिए पर ही धकेलती नजर आ रही है।
बताया गया कि भाजपा भिलाई जिला में मंडल अध्यक्ष को लेकर भी जमकर उठा पटक मची हुई है। मंडल अध्यक्ष पद के दावेदारों की बात करें तो सुपेला मंडल से महेश यादव, विजय जायसवाल, जेपी यादव, अखिलेश वर्मा, संजीव ठाकुर, वैशाली नगर में विजय शुक्ला, गुरजीत सिंह, खुर्सीपार मंडल में एसएन सिंह, जयशंकर चौधरी, मनीष अग्रवाल, बुद्धन सिंह ठाकुर, राजू श्रीवास्तव, कैंप मंडल में विजय सिंह, रवि साहू, अभय सोनकर, अशोक गुप्ता, मुन्ना आर्य, पूर्व मंडल में जे श्रीनिवास राव, सूर्यकांत तिवारी, गजानंद बंछोर, दिनेश सिंह, गजेंद्र प्रताप सिंह, विजेंद्र सिंह, बसंत प्रधान, रिंकू साहू, पश्चिम मंडल में रजनीकांत पाण्डेय, रमेश द्विवेदी, मयंक प्रताप सिंह, महेंद्र यादव, करण कन्नौजिया, अशोक जैन, कुम्हारी मंडल में पीएन दुबे, रामाधार शर्मा, नारायण सोनकर, योगेश साहू, रिसाली मंडल से महेंद्र पाल, अमृत देवांगन, सुनील साहू, चरोदा मंडल में दिलीप पटेल, मुकेश अग्रवाल, रामा रेड्डी तथा जामुल मंडल में हेमंत देवांगन, हलधर साहू के नाम पर विचार तो हुआ पर सहमति नहीं बन पा रही है। इन सबकी जानकारी से जमीनी कार्यकर्ता जहां खिन्न है, गुट विशेष के कार्यकर्ता साफ समझ रहे कि
जब हम नहीं तो कोई और कैसे और क्यों...?
दरअसल भिलाई भाजपा का संगठन आज एक पुरानी कैसेट की फंसी हुई रील सा अटका हुआ है और यह परेशानी यदा कदा जिलाध्यक्ष ब्रजेश बिचपुरिया सहित प्रदेश के कद्दावर नेताओं के भी चेहरे पर भिलाई का जिक्र आते ही गाहेबगाहे दिख ही जाती है।