रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 जनवरी। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन पहले सत्र में कहानी रचना पाठ और कविता पाठ की स्पर्धा हुई।
छत्तीसगढ़ लोक साहित्य के पहले सत्र के अध्यक्ष डॉ.परदेशी राम वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद महासमुंद के राजेश्वर खरे ने अपनी कहानी में शीर्षक माटी के आसरा का वाचन किया। कहानी में लाखन मंडल के भरे पूरे परिवार के बारे में बताया गया।लाखन मंडल के गुजर जाने के बाद उसके बेटे बिसरू के शराब और जुए की लत से बिगडऩे और संपत्ति को नहीं बचाने की बात पर केंद्रित रहा।
कोरबा के मंगत रविन्द्र ने बेटा शीर्षक पर कहानी सुनाई। गांव में चौराहों पर होने वाली बात को सुंदर कहानी के रूप में पिरोया। झाड़ू बबा की कहानी बड़ी रोचक होती थी। जमीन के सौदे से जुड़ी कहानी में जेठू ने बताया की चैतु अपनी जमीन बेचने के लिए सौदा किया,अब चैतू जमीन बेचने से इंकार कर रहा है।इकरारनामा अनुसार पंचायत अपना फैसला जेठू के पक्ष में करने के लिए इकरारनामा को प्रस्तुत करने कहा।घर जाने पर पत्नी द्वारा इकरारनामा पेपर में अपने पिता को रोटी पीठा बांधकर दे देने पर जेठू बहुत नाराज हुआ।अनपढ़ पत्नी के कारण इकरारनामा गुमने से चैतू को जमीन नहीं मिलती।पर अंतिम में उसे जमीन देने पर सहमति हुई। जुबान की कीमत होती है।
जांजगीर -चांपा के रामनाथ साहू ने प्रतिशोध पर केंद्रित कहानी का वाचन किया।आवेश या सोच समझकर कर किए गए प्रतिशोध में अंतर होता है।नक्सली घटनाओं पर आधारित इस कहानी में शांति से जीवन बिताने की बात बताई।
श्री परदेशी राम वर्मा ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि इस सत्र में मार्मिक और जागरूक करने वाली कहानी का वाचन किया गया। उन्होंने कहा की छत्तीसगढ़ी में जो रचना की गई है, वह काव्यात्मक है। परंतु वर्तमान में पिछले कई वर्षो से गद्य में रचना हो रही है,जो प्रशंसनीय है। गांव में जो नाटक होता था वह छत्तीसगढ़ी में नही होता था,हिंदी में होता था। देश में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में महाभारत और रामायण का प्रभाव रहा है। जिंदगी है तो बहरहाल गुजर जाएगी, तू अगर साथ नही तो कोई बात नही। प्रथम सत्र के समापन अवसर पर परदेशी राम वर्मा ने गोंदा उपन्यास का विमोचन किया गया। इसके लेखक परमानंद वर्मा है। सरगुजिया में दिपलता देशमुख की बाल कहनी का भी विमोचन किया गया।