दुर्ग

15 हजार तिलापिया मछलियां तैर रही हैं, पथरिया के बायो लॉक सिस्टम में
01-Feb-2023 3:56 PM
15 हजार तिलापिया मछलियां तैर रही हैं, पथरिया के बायो लॉक सिस्टम में

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 1 फरवरी।
विकासखंड धमधा के ग्राम पंचायत पथरिया में जिला प्रशासन, मत्स्य पालन के विस्तार के लिए बायो लॉक सिस्टम द्वारा नवाचार कर रहा है। 15 हजार तिलापिया मछलियों के बीज से इसकी शुरुआत पथरिया के महिला ग्राम संगठन की 10 दीदियों द्वारा की गई है। जिसमें निषाद वर्ग से 7 महिलाएं कार्य कर रहीं हैं। पथरिया डोमा के गौठान में मछली पालन के लिए 7 लाख 50 हजार की लागत से बायो लॉक का इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में 7 टंकियां बनाई गई हैं व 50 हजार की अतिरिक्त राशि चारे प्रोबायोटिक व अन्य उपकरणों में खर्च की गई है।

मत्स्य विभाग की उपसंचालक सुधा दास ने बताया कि विभाग द्वारा ग्राम संगठन कार्यकर्ताओं को बायो लॉक से संबंधित इंट्रेक्टिव ट्रेनिंग देने के लिए लोकल स्तर पर संबंधित कार्य करने वालों से संपर्क साधा गया। जिसमें कुम्हारी की वंदना सुरेन्द्र को प्रशिक्षण के लिए चुना गया। वंदना सुरेंद्र कोयतुर फिश फार्मिंग से ट्रेनिंग ले चुकी हैं और कुम्हारी में स्वयं का बायो लॉक का स्टार्टअप कर रही हैं। ग्राम संगठन की दसों महिलाओं को इंट्रेक्टिव तरीके से एक दिन का लाईव सेशन कराया गया है। उन्हें बायो लॉक से संबंधित अपडेट निरंतर मिले इसके लिए उनका एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। जिसमें समय-समय पर उन्हें वीडियो और संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती हैं।

पथरिया में बोरी को नवीन तहसील का दर्जा दिए जाने के बाद यहां का स्थानीय मार्केट खपत के  दृष्टिकोण से एक बड़े मार्केट के रूप में तब्दील हो चुका है। इसके साथ-साथ गांव में भी और नजदीकी हाट बाजारों में भी मछली की बिक्री की जा सकेगी। बायो लॉक की 7 टंकियों का निर्माण कराया गया है। जिसमें कुल 15 हजार मछलियों के बीज डाले गए हैं। प्रत्येक मछली लगभग 500 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम वजन के लिए बढ़ाई जाएगी। अनुमानित आंकड़ा लगभग 4 क्विंटल के करीब है। जिससे शुद्ध कमाई का आंकड़ा लगभग साढ़े तीन लाख होने की उम्मीद है। फिशरी इंस्पेक्टर धमधा की स्वीटी सिंह ने बायो लॉक सिस्टम के संबंध में विशेष जानकारी देते हुए बताया कि सहजीविता इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। जिसमें जलीय जीव और परपोषी बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीव आपस में सहजीवी प्रक्रिया द्वारा एक इकोसिस्टम तैयार करते हैं। परपोषी बैक्टीरिया मछली के वेस्ट प्रोडक्ट को अपना आहार बनाते हैं और आगे चलकर हाई प्रोटीन में तब्दील होकर मछलियों का चारा बनते हैं। इस तरीके की पुनरावृत्ति से एक साइकिल निर्मित होती है जिससे पानी साफ रहता है, मछली बीमार नहीं पड़ती और एक ही स्थान पर परपोषी बैक्टीरिया और मछली दोनों को अपना आहार मिल जाता है। यही कारण है कि बायो लॉक सिस्टम जैव सुरक्षा व इको फ्रेंडली सिस्टम दोनों का समर्थन करता है।

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