रायपुर

रायपुर, 3 फरवरी। माकपा ने वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजी को विरोधाभासी और जनविरोधी करार देते हुए इसके खिलाफ विरोध कार्यवाही का आव्हान किया है । पार्टी की राज्य समिति ने कहा कि यह बजट महंगाई ओर चरम बेरोजगारी से पीडि़त जनता को राहत देने में विफल है ।
पार्टी ने कहा कि केंद्रीय बजट 2023-24 ऐसे समय में आया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है महामारी के आने से पहले, महामारी के विगत 2 वर्षों के दौरान यह और खराब हो गई महामारी के बाद की रिकवरी वैश्विक आर्थिक मंदी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है और देश संभावित मंदी की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह बजट लोगों की खरीदारी बढ़ाने के केंद्रीय मुद्दों को संबोधित करने, रोजगार सृजन के साथ घरेलू मांग के विकास को बढ़ावा देने में विफल रहा है।
इसके विपरीत, यह राजकोषीय घाटा कम करने के लिए सरकारी खर्च को कमतर करता है जबकि आगे इसमें अमीरों को कर रियायत दी गई है। यह बजट ऐसे समय पेश किया गया है है जब ऑक्सफैम की रिपोर्ट दिखाती है कि भारत में सबसे अमीर 1 प्रतिशत ने 40.5 प्रतिशत लोगों का हिस्सा हड़प लिया है । इस प्रकार, यह एक संकुचन बजट है जो केवल आर्थिक संकट को बढ़ाएगा।
संशोधित बजट की तुलना में 2023-24 के लिए कुल सरकारी व्यय में वृद्धि: 2022-23 के अनुमान से महज 7 फीसदी अधिक है जो की बहुत मामूली बढ़ोतरी है (मुद्रास्फीति के साथ)। र्थात सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी व्यय में कमी आई है।
यदि ब्याज भुगतान को हटा दिया जाए तो यह व्यय पिछले वर्ष से केवल 5.4 प्रतिशत अधिक है । जबकिअंतर्निहित मुद्रास्फीति की दर 4 प्रतिशत और जनसंख्या में लगभग 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जिसे जन-केंद्रित बजट कहा जा रहा है, वह वास्तव में हमारी आबादी के विशाल बहुमत की आजीविका पर आगे के हमलों को बढ़ाता है ।
जब बेरोजगारी की दर ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है बजट में मनरेगा आवंटन में 33 फीसदी की कटौती की गई है। खाद्य सब्सिडी में कटौती की गई है।