महासमुन्द

सिरपुर में देखते ही बनती है बनबेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला वाले कौशल्या उपवन वाटिका की शोभा
04-Feb-2023 7:19 PM
सिरपुर में देखते ही बनती है बनबेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला वाले कौशल्या उपवन वाटिका की शोभा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 4 फरवरी। धान फसल की कटाई मिजाई के बाद छत्तीसगढ़ के गांवों में मड़ई-मेले का आयोजन खास तिथियों में किया जाता रहा है। लिहाजा सिरपुर में मड़ई मेले का आयोजन होता आया है। अब से पहले भी सिरपुर मंड़ई मेला अवसर पर आसपास गांव के लोग गंधेश्वर महादेव में जल चढ़ाने आते थे। आसपास गांव की मंड़ई भी सजधजकर आती थी।

बाजार जैसी किंतु बाजार से बड़ी आकार में मंड़ई में मिठाईयां, खिलौने के अलावा तरह-तरह के झूले भी आते थे। अब यह आयोजन वृहद हुआ है। शासन-प्रशासन की ओर से सारी तैयारियां की जाती हैं। प्रतिवर्ष यह महोत्सव महानदी तट पर माघ पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है। आज भी मेला अवसर पर दूर-दूर से भारी तादात में ग्रामीण सिरपुर आकर महानदी में स्नान कर गंधेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

सिरपुर शुरुआती दौर से प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। वृक्षारोपण के जरिए इसे और भी हरा-भरा किया जा रहा है। पर्यटकों के विश्राम सुविधा के लिए पांच सुगंधित फूलों वाली सुंदर कौशल्या उपवन वाटिका तैयार हो गई है। इन उपवनों में प्रतिदिन रामचरित मानस का पाठ, भजन-कीर्तन स्थानीय मंडलियों द्वारा किया जा रहा है। वृक्षारोपण में बेर, जामुन, पीपल, बरगद, नीम, करंज, आंवला आदि के पौधें शामिल किए गए हैं। ताकि ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ लोगों को जैव विविधता का ऐहसास भी हो। इस इलाके में राम वन गमन पथ में छह ग्राम पंचायतों को मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें अमलोर, लहंगर, पीढ़ी, गढ़सिवनी, जोबा व अछोला शामिल है। मुख्य सडक़ के दोनों किनारों पर फलदार, छायादार पौधे लगाए जा रहे हैं।

सिरपुर को विश्व समुदाय में स्थान मिले इस लिहाज से राज्य शासन के साथ-साथ जिला प्रशासन महामसुंद भी कटिबद्ध है। वैसे सिरपुर बहुत ही विस्तृत है। यह लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह कही भी बौद्ध केन्द्र विस्तारित नहीं है। सिरपुर, डोंगरगढ़ और मैनपाट को टूरिज्म सर्किट से जोडऩे की तैयारी की जा रही है। पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से इस ओर सैलानियों का रूझान बढ़ेगा और जल्दी ही सिरपुर विश्व मानचित्र पर अंकित होगा।

जिला मुख्यालय से महज 35 किलो मीटर दूर स्थित सिरपुर अपनी ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्ता के कारण आकर्षण का केंद्र हैं। यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी। यह स्थल पवित्र महानदी के किनारे पर बसा हुआ हैं। सिरपुर में सांस्कृतिक व वास्तु कौशल की कला का अनुपम संग्रह हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2021 में सिरपुर बौद्ध महोत्सव में शामिल हुए थे। उन्होंने सिरपुर के विकास के लिए 213.43 लाख रुपए के अनेक कार्यों की घोषणा की थी। जिनमें भव्य स्वागत गेट का निर्माण,सिरपुर मार्ग 4 तालाबों का सौंदर्यीकरण, सिरपुर मार्ग पर 5 सुंदर सुगंधित कौशल्या उपवन निर्माण, कोडार.पर्यटन टैटिंग व बोटिंग, कोडार जलाशय तट पर वृक्षारोपण और सिरपुर के रायकेरा तालाब आदि शामिल है।

मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप सभी काम पूरे हो गए हैं। सैलानियों के लिए रायकेरा तालाब में बोटिंग पिछले साल से शुरू हो गयी है। वहीं नजदीक कोडार जलाशय में नौका विहार के लिए बोटिंग की सुविधा सैलानियों को उपलब्ध है। यहां कम दाम पर टेंटिंग में ठहरने के इंतजाम भी किए गए हैं। फिलहाल चार टेंट लगाए गए है। इनमें एक टेंटिंग में दो व्यक्तियों के सोने और आराम करने के लिए पर्याप्त जगह है। टूरिस्ट और बच्चों के लिए क्रिकेट, वॉलीबॉल, कैरम, शतरंज के साथ ही निशानेबाजी की सुविधा भी इस इको पर्यटन केंद्र में उपलब्ध है।

संस्कृति मंत्री सिरपुर महोत्सव का करेंगे शुभारंभ

महासमुंद, 4 फरवरी। खाद्य नागरिक एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत 5 फरवरी को सिरपुर महोत्सव का शुभारंभ करेंगे। निर्धारित कार्यक्रम अनुसार मंत्री भगत रतनपुर जिला बिलासपुर से हेलीकॉप्टर से रवाना होकर दोपहर 2:50 बजे पर सिरपुर पहुंचेंगे। मंत्री शाम 5:35 बजे सिरपुर से कार द्वारा रायपुर के लिए रवाना होंगे। तीन दिवसीय सिरपुर महोत्सव 5 से 7 फरवरी तक चलेगा।

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