बलौदा बाजार
रजिस्ट्रार कार्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 5 फरवरी। बलौदाबाजार शहर की रजिस्ट्री कार्यालय में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है उप पंजीयक एमके चोखद्रे ने एक नहीं बल्कि दो-दो शासकीय भूमि की रजिस्ट्री कर दी है जबकि ऑनलाइन सिस्टम में जमीन शासकीय घास जमीन दर्ज की गई है रजिस्ट्री कराने वाले ने जो खसरा नक्शा पेपर में लिखें शासकीय खास भूमि को छिपाकर पटवारी के फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज लेखक द्वारा है। रजिस्ट्री भी कर दी पटवारियों ने इस मामले में एसडीएम से शिकायत दर्ज कराई है। पूरे मामले में संदेह के दायरे में आए रजिस्टर का गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आया है।
उन्होंने कहा है कि हमें यह जानकारी नहीं होती है कि यह जमीन शासकीय है या निजी इसलिए यह रजिस्ट्री हो गई जबकि तहसीलदार बलराम तंबोली का कहना है कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया में ऑनलाइन भुईया पोर्टल से भूमि की जानकारी देखे बिना उप पंजीयक रजिस्टार नहीं कर सकते पूरे मामले को जांच में ले लिया गया है, वहीं इन हलके के पटवारियों को राजस्व विभाग में शिकायत करते हुए कहा कि जब नक्शा खसरा में स्पष्ट लिखा है कि यह शासकीय जमीन है तो फिर इसकी रजिस्ट्री कैसे हो गई।
क्षेत्र में जमीन जमीन फर्जीवाड़ा होने से लोग भी अब सतर्क होते देखे जा रहे हैं वहीं यह मामला लवन हल्का 36 नंबर की खसरा नंबर 2341/1 क का शासकीय घास जमीन का है जिसकी रजिस्ट्री 17 जनवरी को सहदेव राय लवन ने फर्जी दस्तावेज के माध्यम से दानपात्र में अपनी पत्नी अमृता राय को दान किया फिर उसकी दान पत्र के आधार पर रजिस्ट्री करा ली जिसमें गवाह भी फर्जीवाड़ा कर जमीन हथियाने वाले खरीददार का बेटा ही है मात्र 3288 रुपए पंजीयन शुल्क देकर लाखों रुपए की जमीन की रजिस्ट्री करवा ली गई चौंकाने वाली यह बात है कि ऑनलाइन की कॉपी में पटवारी के डिजिटल सिग्नेचर होते हैं।
यह पहला मामला है कि पटवारी के फर्जी डिजिटल सिग्नेचर बनाकर गोलमाल किया गया है। इस हलके के पटवारी मोहन सिन्हा का कहना है कि उक्त पंजीकृत दान पत्र का अवलोकन करने पर यह पाया कि उक्त दान पत्र में संलग्न नजरी नक्शा व डिजिटल हस्ताक्षरित खसरा में मेरे फर्जी हस्ताक्षर व सील लगी हुई है जबकि मेरे द्वारा कभी भी वक्त नजरें नक्शा तैयार नहीं किया गया है व नजरी नक्शा में हस्ताक्षर भी मेरा नहीं है और ना ही क्रेता और विक्रेता पक्ष ने कभी भी मेरे कार्यालय से जानकारी ली है सभी कागजात फर्जी हैं और शासन के साथ धोखाधड़ी की गई है।
फाइनेंस कंपनी के अधिकारी भी शामिल
फाइनेंस कंपनियों के एजेंट इसी तरह की फर्जी रजिस्ट्री ग्रामीणों से करवाकर कंपनी से लोन दिलवा देते हैं। दोनों मामले में भी यही बात सामने आई है रजिस्ट्री होने के बाद एक ही फाइनेंस कंपनी ने दोनों को लोन दिया है ऐसे जालसाल एजेंटों का एक पूरा गैंग सक्रिय है जो रजिस्ट्रार और दस्तावेज लेखक की मिलीभगत से इस तरह शासकीय जमीनों की रजिस्ट्री करवा देते हैं।
1850 की पंजीयन शुल्क से ढाई डिसमिल की रजिस्ट्री
बड़ा मामला तिल्दा के पटवारी हल्का नंबर 34 खसरा नंबर 2097/1 का है जहां 37 सौ की घास जमीन में से ढाई डिसमिल पत्र के नाम पर मन हरण के बाद में अपनी पत्नी शैल कुमारी के नाम से लाखों की जमीन को 1850 पंजीयन शुल्क देकर बलौदाबाजार के पंजीयन कार्यालय में रजिस्ट्री करा ली है पटवारी डेनिस ध्रुव ने बताया कि इसकी शिकायत उसने एसडीएम और तहसीलदार से की है।