गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 6 फरवरी। राजिम माघी पुन्नी मेला के महोत्सव मंच में प्रस्तुति देने पहुॅचें रिंगनी दुर्ग के गौतम साहू ने कपालिक एवं वेदमती शैली मे महाभारत के प्रसंग पर शानदार कथा प्रस्तुत किये। चर्चा के दौरान गौतम साहू ने बताया कि वह फिल्म के हीरो बनना चाहतें थे, इसके लिए प्रतिदिन अभिनय के अलावा नृत्य पक्ष मे अभ्यास करते थे। परन्तु पद्मश्री तीजन बाई एवं पुनाराम निषाद से मुलाकात होने के बाद उन्हें गुरु मानकर कपालिक एवं वेदमती दोनो शैली सिखा। पिछले 11 वर्षो से लगातार पंडवाणी के प्रस्तुति दे रहा हूं। उन्होंने बताया कि पहली बार राजिम माघी पुन्नी मेला में कार्यक्रम देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यहां प्रस्तुति देकर मुझे राष्ट्रीय स्तर जैसा मंच का अनुभव हुआ है। मंच पर अरण्ड महासमुंद के मिलाप दीवान व्दारा रामायण प्रस्तुत किया गया।
उन्होंने सुंदरकांड के प्रसंग पर कहा कि रामायण से जीवन जीनें की सिख मिलती है। राम के चरित्र आज भी प्रासंगिक है। सेतुबांध पर व्याख्यान देते हुए कहा कि वानरों ने समुद्र में भारत और लंका को जोड़ दिया। रामायण हमारे बीच में सेतु का काम कर रही है। वह लोगों को एक सुत्र मे बांध रही है। श्रवण सार्वा दुलना रायपुर के व्दारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने माता भजनों का शानदार आगाज किया। रायपुर के सोनम शिखर के स्वर संजनी भजन संध्या के कलाकारों ने अभूत्पूर्व प्रस्तुति दी। जैसे ही कौन दिशा मे लेके चलव रे बटुहिया...... गीत प्रस्तुत किया दर्शक बड़े ध्यान से सुना और ताली बजाकर उत्साहवर्धन किया। ईश्वर सत्य है... के साथ ही लगातार 4 भजन प्रस्तुत किया। जीवतरा के संजय सेन ने सांई भजन की झुमकर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारम्भ स्वागत नृत्य देवरी के तोरणलाल यादव ने किया। नदी पर बनें पंडाल में दर्शक प्रथम दिन से भारी भीड़ रही। कार्यक्रम का संचालन, पुरषोत्तम चंद्राकर और महेन्द्र पंत द्वारा किया गया। इस मौके पर शासन की ओर से किशोर निर्मलकर, दिनेश्वर साहू, सुखेन साहू कलाकारों का सहयोग प्रदान कर रहे है।