महासमुन्द

सिरपुर महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समा बांधा
07-Feb-2023 4:35 PM
सिरपुर महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समा बांधा

लोकरंग अर्जुंदा ने दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरी

शालेय छात्र-छात्रों की प्रस्तुति की लोगों ने सराहना की

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 फरवरी।
तीन दिवसीय सिरपुर महोत्सव में सोमवार को दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समा बांधा लोकरंग अर्जुंदा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। सांस्कृतिक कार्यक्रम लोकरंग अर्जुंदा दुर्ग ने दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरी । उन्होंने गणेश वंदना के साथ अपने लोकरंग  कार्यक्रम का आगाज किया।

राजगीत पर उनके मंडली की प्रस्तुति देखते ही बनी बरबस ही लोगों के मुँह से वाह-वाह निकला। लोक कला के साथ -साथ देश भक्ति गीतों से आत्मविभोर कर दिया।
कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागरअपर कलेक्टर ध्रुव दुर्गेश कुमार वर्मा,एसडीएम  उमेश साहू सहित बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने कार्यक्रम को देखा।

सोमवार की दोपहर को जिला स्तरीय रामायण मंडली प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें पहले स्थान पर रसनी बालिका मानस मंडली बिरकोनी महासमुंद, दूसरे स्थान पर ज्ञान भक्ति मोगरापाली बागबाहरा और तीसरे स्थान पर माया के दुलार मानस मंडली भवरपुर बसना रही।अपर कलेक्टर दुर्गेश कुमार वर्मा ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।

इसके बाद स्थानीय लोक कलाकारों  ने शानदार एवं रंगारंग प्रस्तुति दी। सिरपुर महोत्सव के दूसरे दिन शाम से सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुई जो देर रात्रि तक चली। शाम को सबसे  पहले शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मोंहदा विकासखंड सरायपाली द्वारा कर्मा नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति का पर्याय है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी, गैर-आदिवासी सभी का यह लोक मांगलिक नृत्य है।

उसके बाद शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दुलारपाली विकासखंड बसना द्वारा डंडा नृत्य का प्रदर्शन हुआ। मालूम हो कि डंडा नृत्य  छत्तीसगढ़  का लोक नृत्य है। इस नृत्य को सैला नृत्य भी कहा जाता है। यह पुरुषों का सर्वाधिक कलात्मक और समूह वाला नृत्य है। डंडा नृत्य में ताल का विशेष महत्व होता है। डंडों की मार से ताल उत्पन्न होता है। यही कारण है कि इस नृत्य को मैदानी भाग में डंडा नृत्य और पर्वती भाग में सैला नृत्य कहा जाता है। सैला शैल का बदला हुआ रूप है, जिसका अर्थ पर्वतीय प्रदेश से किया जाता है। कक्षा 6वीं की छात्रा कुमारी आस्था पटनायक ने मोहक एकल ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया जिसे दर्शकों ने सराहा।

सिरपुर महोत्सव में विभिन्न विभागों द्वारा विकास पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गयी है। जहॉ विकास की झलक देखने मिल रही है। इसके अलावा अन्य संस्थानों द्वारा भी अपने उत्पादों की बिक्री या प्रदर्शन के लिए स्टॉल लगाये गए है। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं संस्कृति मंत्री  अमरजीत भगत ने विगत 5 फरवरी को महोत्सव का शुभारंभ किया था।

सिरपुर महोत्सव के अंतिम दिन 7 फरवरी को कार्यक्रम दोपहर 3 बजे से शुरू होकर रात्रि 10 बजे तक चलेंगी। दोपहर 3 बजे से 03.30 तक बाल कृष्ण राउत नाचा पिरदा विकासखण्ड महासमुन्द द्वारा राउत नाचा, दोपहर 03.30 बजे से 4 बजे तक जय गौरी गौरा सुआ दल छपोराडीह सुवा नृत्य, सायं 4 बजे से 04.50 तक कौशिल्याबाई निर्मलकर खुर्शीपार सुरता कला मंच, खुर्सीपार देवरी द्वारा भरथरी गीत की प्रस्तुति होगी। सायं 6.30 बजे से 06.40 तक पूरना श्री राउत द्वारा ओडिसी नृत्य एकल नृत्य तथा सायं 6.40 बजे से रात्रि बजे 10 तक ईशिता विश्वकर्मा एवं टीम मुंबई द्वारा बॉलीवुड कलाकार की प्रस्तुति होगी।

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