बीजापुर

प्राइवेट अस्पतालों की स्टॉफ की सूची में सर्जन नहीं, फिर भी हो रही है सर्जरी
27-Feb-2023 2:26 PM
प्राइवेट अस्पतालों की स्टॉफ की सूची में सर्जन नहीं, फिर भी हो रही है सर्जरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 27 फरवरी।
जिला मुख्यालय में संचालित प्राइवेट अस्पतालों में 100 बिस्तर अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं से बेहतर सुविधा देने के दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर इन अस्पतालों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के समान भी सुविधाएं नहीं है। आलम यह है कि जिला मुख्यालय में संचालित बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल सिर्फ एक या दो डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं।

अयोग्य नर्सिंग स्टाफ की भर्ती की गई है। आरटीआई के तहत मिले दस्तावेजों में इन प्राइवेट अस्पतालों के प्रबंधन व मानव संसाधन की पोल खोल कर रख दी है। जिसमें मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल का बोर्ड लगाकर बेहतर सुविधा देने के दावे करने वाले अस्पतालों में गिनती के स्टाफ हैं।

स्टाफ में सर्जन नहीं, फिर भी अस्पताल में सर्जरी
प्राइवेट अस्पतालों की ओर से स्वास्थ्य विभाग में जमा कराई गई सूची में सर्जन, निश्चेतना विशेषज्ञ समेत अन्य विशेषज्ञ नहीं होने के बावजूद सर्जरी की जा रही है, जो नर्सिंग होम लाइसेंस का साफ उल्लंघन है। रायपुर मार्ग स्थित प्राइवेट अस्पताल की ओर से जिस निश्चेतना विशेषज्ञ का नाम सूची में सौंपा गया है, उसके द्वारा अस्पताल में सेवाएं नहीं दी जा रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस अस्पताल में निश्चेतना विशेषज्ञ के स्थान पर झोलाछाप की सेवाएं ली जा रही है, जो काफी गंभीर है। स्पष्ट है कि यहां मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

विशेषज्ञ नहीं, फिर भी आयुष्मान में क्लेम
आरटीआई से मिले दस्तावेजों में अस्पताल के स्टाफ की सूची में विशेषज्ञों का नाम नहीं होने के बावजूद सर्जरी की जा रही है, वही आयुष्मान योजना के अंतर्गत सर्जरी के लिए क्लेम भी किया जा रहा है। जिला मुख्यालय में संचालित प्राइवेट अस्पतालों के स्टाफ की जांच में बड़े खुलासे होंगे। बड़े मुनाफे के फेर में संचालक नियमों को ताक पर रख रहे हैं। सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों का प्राइवेट अस्पताल के संचालन करने का भी खामियाजा आम जनों को भुगतना पड़ रहा है। यहां मुनाफा के फेर में सरकारी स्वास्थ्य कर्मी पदस्थ अस्पताल से मरीजों को अपने प्राइवेट अस्पताल में रेफर कर रहे हैं।

सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट अस्पतालों के एजेंट सक्रिय
प्राइवेट अस्पतालों के एजेंट जिला अस्पताल समेत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सक्रिय है। जो मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के दावे कर प्राइवेट अस्पतालों में ले जा रहे हैं। इन एजेंटों की अस्पतालों के कर्मियों से सांठगांठ है। जिसके कारण मरीजों के इलाज की सूचना इन एजेंटों को दी जा रही है। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के कई डॉक्टर भी मरीजों को प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दे रहे हैं। यह सारा खेल कमीशन के फेर में हो रहा है। जिसमें गरीब मरीज लूटे जा रहे हैं।

नर्सिंग होम का लाइसेंस निरस्त
करने को लेकर नोटिस जारी
बीते दिनों शहर के रायपुर मार्ग स्थित एके मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बेमेतरा एसडीएम सुरुचि सिंह के औचक निरीक्षण के दौरान जिला प्रशासन की टीम को भारी गड़बडिय़ां मिली। इसके लिए अस्पताल को 10 से 12 बिंदुओं में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। बेमेतरा एसडीएम सुरुचि सिंह के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया है, इसलिए अस्पताल के नर्सिंग होम लाइसेंस को निरस्त करने को लेकर अस्पताल को फिर से नोटिस जारी किया गया है।

आरएमए के निलंबन का अनुशंसा पत्र बेमेतरा कलेक्टर को प्रेषित
बेमेतरा एसडीएम सुरुचि सिंह के एके हॉस्पिटल के निरीक्षण के दौरान सरकारी स्वास्थ्य केंद्र कुसमी में पदस्थ चिंता राम साहू ऑन ड्यूटी आवर में उपस्थित मिला। उस समय पूछताछ में आरएमए चिंताराम ने अस्पताल में भर्ती अपने परिचित के स्वास्थ्य का हाल-चाल जानने के लिए आने की बात कही थी और जारी नोटिस का यही जवाब प्रस्तुत किया था। बेमेतरा एसडीएम के अनुसार सरकारी स्वास्थ्य कर्मी किस परिचित से मिलने आया है यह बताने का असफल रहा था। नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर आरएमए के निलंबन का अनुशंसा पत्र बेमेतरा कलेक्टर को प्रेषित किया है। अग्रिम कार्रवाई बेमेतरा कलेक्टर की ओर से होनी है।

चेतना हेल्थ केयर संस्थान को दोबारा नोटिस जारी
स्थान परिवर्तन की पूर्व सूचना दिए बगैर अस्पताल का संचालन शुरू करने को लेकर चेतना हेल्थ केयर को स्वास्थ्य विभाग से नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। वहीं पूरे मामले की जांच के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने 3 सदस्यी टीम का गठन किया था। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल प्रबंधन की ओर से प्रस्तुत जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर फिर से नोटिस जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि स्थान परिवर्तन के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से नर्सिंग होम के तहत लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया, जो नियमों का उल्लंघन है। इसी प्रकार सोनोग्राफी मशीन का संचालन भी बिना लाइसेंस किया जा रहा था।

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