बालोद
इसके बाद मंदिर के गर्भगृह से उतारा गया मुस्लिम पताका
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 4 मार्च। बालोद जिले के गुंडरदेही नगर में एक मंदिर है, चंडी मंदिर जहां पर 100 वर्षों से एक परंपरा चली आ रही थी। नीचे मां चंडी की पूजा-अर्चना होती थी और उसी गर्भगृह में बाबा सैयद शाह का 786 का पताका भी लहराता था, परंतु लगभग 1 माह पूर्व संघ के मुखपत्र पांचजन्य के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से इस मंदिर के गर्भगृह की तस्वीर को पोस्ट किया गया।
पोस्ट में कुछ विशेष नहीं लिखा था, परंतु इसे लोगों ने अपने-अपने नजरिए से लिया, जिसके बाद कई हिंदू संगठन एक्टिव हुए और सोशल मीडिया में तीखी बहस शुरू हो गई। शांति और सौहार्द के इस मंदिर में कहीं न कहीं खलल पड़ता नजर आया। पिछले दिनों विश्व हिंदू परिषद राज्य परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक राजेंद्र राय एवं मुस्लिम समाज की उपस्थिति में यह निर्णय लिया गया कि यहां के मुस्लिम पताका को निकाला जाएगा और शुक्रवार को सम्मान से पताका को उतारकर मुस्लिम समाज को दिया गया।
ठाकुर रहते तो नहीं उतरता ध्वज, जो राजनीति कर रहे गलत
मुस्लिम समाज के अध्यक्ष सलीम खान ने पूरे मामले पर कहा कि ध्वज जो उतारा गया है, हमें कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत उन्हें हैं, जिन्होंने यह काम किया है जो राजनीति कर रहे हैं, वह गलत है। ठाकुर निहाल सिंह जीवित होते तो आज ऐसा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि हम तो केवल यही अपील करते हैं कि बाहर जो भी हो रहा हो बाहरी ताकतें जितनी भी कोशिश कर ले हमारे गुंडरदेही में जो चल रहा है, वह सदैव चलता रहे। एकता अखंडता बनी रहे। कोई भी युवा कोई भी समाज किसी भी सांप्रदायिकता के बहकावे में न आएं। हमेशा हिंदू मुस्लिम एक-दूसरे का साथ देते रहे, बस हम यही चाहते हैं।
तालाब से निकली थी मूर्ति और पवित्र चांद
स्थानीय लोगों ने बताया कि चंडी माता की मूर्ति स्थानीय रामसागर तालाब से निकली थी और उसके साथ ही मुस्लिम समुदाय का पवित्र चांद भी निकला। राजेंद्र कुमार राय ने बताया कि उनके दादाजी ठाकुर निहाल सिंह जो क्षेत्र के अंतिम जमीदार हुए, उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी। माता की स्थापना के साथ यहां पर एक हरा पवित्र सैयद बाबा साहब का 786 वाला चादर भी लगाया गया, तब से आज तक यह मंदिर वसुधैव कुटुंबकम के तर्ज पर लोगों को जोड़े हुए था पर आज इस पताके को उतार दिया गया है।
पूजा के बाद निकाला गया पताका
शुक्रवार को मंदिर के गर्भगृह से सैय्यद बाबा के पताके को उतारने से पहले मंदिर में राज परिवार के सदस्यों स्थानीय लोगों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की गई और वहां लहरा रहे हरे पताका को उतारा गया और मुस्लिम समाज को सौंप दिया गया।
पताका के साथ मंदिर में कुछ और चीज होने की बातें कही जा रही थी, परंतु पताका उतारते समय किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। मंदिर के सदस्यों ने ही ध्वज को उतारा और मुस्लिम समाज को सौंप दिया।
चप्पे-चप्पे पर तैनात रही पुलिस
मामला हिंदू और मुस्लिम समाज से जुड़ा हुआ था, इसलिए गुंडरदेही नगर में प्रशासन एवं पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रही और पल-पल की मॉनिटरिंग भी की जा रही थी, ताकि किसी तरह की कोई भी अव्यवस्था न मंदिर में हो न ही शहर में और न ही जिले में। क्योंकि जब पिछले दिनों ट्विटर पर यह तस्वीर पोस्ट की गई थी तो तरह-तरह की टिप्पणी अलग अलग विचारधारा के तरफ से की गई थी और प्रशासन को इस बात की चिंता रही कि कोई भी सांप्रदायिक विवाद यहां निर्मित न हो।
100 साल से चली आ रही थी परंपरा
ज्ञात हो कि चंडी मां की पूजा अर्चना के साथ मुस्लिम समाज के पताका का यह इतिहास 100 वर्ष पुराना है। क्षेत्र के जमीदार निहाल सिंह ने इसकी स्थापना की थी और राजपरिवार ही उसका देखरेख कर रहा है। राज परिवार के सदस्य एवं पूर्व विधायक राजेंद्र कुमार राय ने किसी भी तरह का सौहार्द ना बिगड़े इसलिए सबकी सहमति से यह निर्णय लिया है।