बलौदा बाजार

विधिक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम
15-Mar-2023 9:46 PM
विधिक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भाटापारा, 15 मार्च। कमलाकांत शुक्ला प्रशिक्षण संस्थान भाटापारा में विधिक महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि न्यायधीश राजेश रोजमीन खाखा, अध्यक्षता अशोक श्रीवास्तव, पीएलवी विशेष अतिथि शत्रुहन प्रसाद साहू थे।

   कार्यक्रम सर्वप्रथम माँ सरस्वती के पूजा अर्चना दीप प्रजवलित कर मुख्य अतिथियों का स्वागत गमला वृक्ष से कर पर्यावरण पर एक विशेष उदाहरण प्रस्तुत किया गया, तत्पस्यात न्यायधीश श्री खाखा ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है, जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है, और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है। इसमें ऐसी ताकत है कि वह समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके।

समान वेतन का अधिकार - समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अगर बात वेतन या मजदूरी की है तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।

कार्यस्थल में उत्पीडऩ के खिलाफ कानून-यौन उत्पीडऩ अधिनियम के तहत आपको वर्किंग प्लेस पर हुए यौन उत्पीडऩ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। केंद्र सरकार ने भी महिला कर्मचारियों के लिए नए नियम लागू किए हैं, जिसके तहत वर्किंग प्लेस पर यौन शोषण के शिकायत दर्ज होने पर महिलाओं को जांच लंबित रहने तक 90 दिन का पैड लीव दी जाएगी।

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार - भारत के हर नागरिक का यह कत्र्तव्य है कि वह एक महिला को उसके मूल अधिकार ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें। गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक लिंग चयन पर रोक अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

संपत्ति पर अधिकार - हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।

गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार - किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

महिला सशक्तीकरण - महिलाओं का पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता का विकास होना ही महिला सशक्तीकरण कहलाता है।

महिला श्रेष्ठता - समाज में महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए क्योंकि आज के समय में महिला हर क्षेत्र में आगे है चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर खेल के क्षेत्र में!

उपरोक्त कार्यक्रम में सभी अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये कार्यक्रम का समापन उदबोधन शिक्षिका पूर्णिमा कौशिक तथा सफल संचालन छात्रा श्रेया वर्मा ने किया।

कार्यक्रम में संस्था के संचालक मनीष शुक्ला, महाविद्यालय की  प्राचार्या डॉ वंदना चौहान, मनोज देवांगन स्टेनो न्यायधीश तनूजा सेन पीएलवी, शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं एवं संस्थान के सभी स्टॉफ मौजूद रहे।

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