महासमुन्द
जवाब मांगा है कि आदेश के बाद भी सीबीआई जांच क्यों नहीं की गई?
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 18 मार्च। आज चंद्राकर परिवार के चार लोगों की मौत को आठ साल पूरे हुए हैं। आठ सालों बाद भी इनके घर की चिंगारी बुझी नहीं है। लगातार कोशिशों के बााद भी इस मामले में जरूरी जांच नहीं हुई। इस मामले में तत्कालीन टीआई, एसपी समेत 8 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है कि पीडि़त पक्ष की बात क्यों नहीं सुनी गई? लिहाजा एक बार फिर अधिकारी फाइल टटोलने में लगे हैं।
गौरतलब है कि इलेक्ट्रानिक व्यवसायी भरत चंद्राकर के पिटियाझर स्थित निवास में वर्ष 2015 के मार्च माह में 18 तारीख बुधवार-गुरूवार की दरम्यानी रात करीब 11 बजे आग लग जाने से छोटे भाई पप्पू, उनकी पत्नी और दो मासूम बेटियों की मौत हो गई थी। हादसे में झुलसने के बाद दो लोगों को बचा लिया गया।
उस दिन भारत बंद था। लिहाजा भरत-पप्पू दोनों भाइयों ने दुकान बंद कर परिवार संग रहने का मन बनाया। शाम होते-होते भरत शहर की ओर घूमने निकल गया और जल्दी खाना खाकर रात 9 बजे ही अपने कमरे में सोने चला गया। रात के लगभग साढ़े 11 बजे थे। घूमकर लौटे भरत भी खाना खाकर सोने जा रहे थे कि बाहर से आ रही आवाजों के कारण वह परिवार को लेकर घर से बाहर भागा। बदहवाश होकर भाई के कमरे की ओर दौड़ा तो आग भभक चुकी थी। इस हादसे में लाखों का इलेक्ट्रॉनिक सामान जलकर खाक हो गया था। हालांकि देर रात तक आग में काबू पा लिया गया था और आग बुझाने का क्रम सुबह 7 बजे तक जारी रहा। आग कैसे लगी, इसकी जांच के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम रायपुर से घटनास्थल पहुंची थी। आज आठ साल पूरे होने के बाद भी जांच बाकी है।
घटना के वक्त मकान के ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरे में गोपाल चंद्राकर व उसकी पत्नी सुशीला चंद्राकर तथा दूसरे कमरे में भरत चंद्राकर, उसकी पत्नी ममता चंद्राकर, बेटा आदित्य और बेटी अदिति सो रहे थे। मकान के ऊपर प्रथम तल पर एक कमरे में लोकेश पिता प्रहल्लाद चंद्राकर और दूसरे कमरे में ललित उर्फ पप्पू 36 वर्ष पिता गोपाल चंद्राकर, पत्नी शैली 32 वर्ष, बेटी गीत 8 वर्ष और ईशु 6 वर्ष सो रहे थे। प्रथम तल पर सो रहे ललित के परिवार व अलग कमरे में सो रहे लोकेश को घर में आग लगने की जानकारी नहीं हो पाई। जैसे-तैसे कर ग्रामीण ने आग बुझाने के साथ-साथ घन और हथौ$ड़ा लेकर प्रथम तल पर पहुंच लेकिन कमरे की ग्रिल तो$ड़ते तक बहुत देर हो चुकी थी और इस कमरे में सो रहे एक ही परिवार के पति-पत्नी और दो मासूम बच्चियों का दम घुट चुका था लेकिन लोकेश बच निकला।
खिडक़ी तो$डक़र चारों को रात करीब डेढ़ बजे बाहर निकाला गया एवं 108 संजीवनी एक्सप्रेस की मदद से तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां सभी चारों को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। आगजनी की सूचना मिलते ही पुलिस विभाग से डीएसपी मोहन मोटवानी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। पुलिस ने फाइल तैैयार किया लेकिन अब तक यह जाहिर नहीं हो सका कि मामला घटना है फिर दुर्घटना?
मृतक का बड़ा भाई भरत इस मामले को हत्या मानकर घटना के बाद से लगातार कार्रवाई और जांच की मांग कर रहा है। कई बार उनके आवेदन पर सुुनवाई हुई और संदेहियों के नार्को टेस्ट के अलावा सीबीआई जांच के आदेश हुए लेकिन स्थानीय थाने और जिला पुलिस के अफसरों ने कार्रवाई नहीं की। भरत फिर भी नहीं थका।
उन्होंने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में दायर किया है और इसके एवज में तत्कालीन थाना प्रभारी सिटी कोतवाली महासमुंद साथ-साथ जिसा पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिाकरियों को कार्रवाई नहीं के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शनिवार दोपहर को समाचार लिखते तक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का जवाब नहीं भेजा है। कार्रवाई जारी है।