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विस चुनाव की सुगबुगाहट शुरू, भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दल रणनीति पर काम करने लगे
21-Mar-2023 3:16 PM
विस चुनाव की सुगबुगाहट शुरू, भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दल रणनीति पर काम करने लगे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 21 मार्च।
आगामी विधान सभा चुनाव की सुगबुगाहट अभी से प्रारम्भ हो चुकी है। प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस अभी से अपनी रणनीति पर काम करने लगे हैं। कांग्रेस की ओर से जहां लगभग सभी वर्ग को साधने के लिए नई-नई योजनाओं पर कार्य हो रहे हैं, वहीं भाजपा इस बार महंगाई के मुद्दे को दरकिनार कर कांग्रेस सरकार की असफलता गिनाते हुए आंदोलन जैसे कार्यक्रम करती दिख रही है।
बसना विधान सभा में इस बार भी त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आने लगे हैं। वर्तमान में कांग्रेस करीब-करीब एकजुट है, परन्तु भाजपा कई गुटों में बटी दिखाई दे रही है, जिससे भाजपा की राह आसान नहीं होगी।

विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के लिए मात्र छह माह का समय ही रह गया है। विगत 4 वर्षों से सत्ता से दूर रह कर भाजपा कार्यकर्ता बिखरे दिखाई देने लगे हंै, वहीं कॉंग्रेस में राजा देवेंद्र बहादुर सिंह को टिकिट मिलना लगभग तय माना जा रहा है।
हालांकि यह भी जानकारी मिल रही है कि क्षेत्रीय विधायक विधानसभा क्षेत्र के चंद लोगों के ही करीबी है, जिसके कारण पुराने कांग्रेस नेता उनसे कुछ दूरियां बना कर ही चलते हैं। विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह खासकर अपने मधुर व्यवहार के नाम से आम लोगों के बीच जाने जाते हंै, परन्तु अब उनके करीबियों की वजह से आम लोगों से विधायक की दूरियां बढ़ती दिखाई देने लगी है। इसके बावजूद ग्रामीण मतदाता अभी भी वर्तमान विधायक को ही पसंद कर रहे हंै, जिससे कांग्रेस की स्थिति बसना विधानसभा में मजबूत मानी जा सकती है।

भाजपा गुटबाजी चरम पर
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी में इस चुनाव के लिए प्रत्याशियों की फौज तैयार है। पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव रूपकुमारी चौधरी की नजर हमेशा की तरह बसना विधानसभा सीट पर है।
श्रीमती चौधरी पूर्व में जिला पंचायत सदस्य एवं विधायक चुनाव भी जीत चुकी है। विगत चुनाव में विधायक रहने के बावजूद एक गैर भाजपा कार्यकर्ता डीसी पटेल को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था, परन्तु क्षेत्र की जनता ने उन्हें पूरी तरह नकारते हुए उन्हें तीसरे नम्बर पर लाकर तगड़ी पटखनी दी थी। इस चुनाव में वर्तमान में भाजपा प्रवेश कर चुके संपत अग्रवाल 50 हजार से अधिक मत बटोर कर दूसरे नम्बर पर रहे थे।
चुनावी समीक्षकों का मानना है कि संपत को 50 हजार वोट मिलने का मतलब उनकी लोकप्रियता नहीं बल्कि भाजपा प्रत्यासी के विरोध में निर्दलीय को समर्थन करना है।

एक बार फिर जीत-हार की चाबी संपत के हाथ
बसना विधानसभा में कार्यरत नीलांचल सेवा समिति के बैनर तले विगत चुनाव में भाजपा को जमीन दिखा चुके संपत अग्रवाल विगत चुनाव के बाद से ही पूरे विधानसभा में सेवा कार्यों के नाम पर आम लोगों से सम्पर्क बनाये हुए है। वैसे तो नीलांचल सेवा समिति की माने तो पूरी विधानसभा में समिति के एक लाख से अधिक सदस्य हैं।

सभी सदस्यों को नीलांचल के माध्यम से नि:शुल्क उपचार,एम्बुलेंस सुविधा के साथ अन्य उपहारों का लगातार वितरण किया जा रहा है। नीलांचल की इस सहृदयता के चलते सभी राजनीतिक दलों से टिकट चाहने वाले सकते में आ गए हैं। नीलांचल के गुणा-भाग में घर बैठे ही नीलांचल प्रमुख संपत अग्रवाल चुनाव लड़ते हैं, तो भी उन्हें एक लाख मत मिलना तय है। यदि भाजपा उन्हें अपना प्रत्याशी बनाती है, तब भाजपा के परंपरागत वोट अलग मिलेंगे।

बहरहाल नीलांचल के गुणा-भाग से बाहर निकले तो पता चलता है कि उनके साथ किसी भी कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ता परहेज करते दिखते हैं। जिसका असर भाजपा की टिकट पर चुनाव लडऩे से देखने को मिल सकता है। विगत चुनाव में भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी की वजह से भाजपा कार्यकर्ता बिफरे हुए थे।

अघरिया कोलता बिगाड़ सकते हैं समीकरण
बसना विधानसभा में मूलत: अघरिया, कोल्ता एवं आदिवासी बहुलता में है। आदिवासियों को छोडक़र अघरिया एवं कोल्ता मूलत: भाजपा के साथ माने जाते हैं। वर्तमान स्थिति देखी जाय तो अघरिया वर्ग से रूपकुमारी चौधरी भाजपा टिकिट की सबसे सशक्त दावेदार है। श्रीमती चौधरी भाजपा जिलाध्यक्ष भी है एवं कोल्ता समाज से सुधीर प्रधान का नाम भी सामने आ रहा है।

इसके अलावा सांकरा भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व जनपद अध्यक्ष सतपाल सिंह छाबड़ा भी इस बार भाजपा टिकिट के लिए दावा कर रहे हंै। श्री छाबड़ा विशेषकर सांकरा क्षेत्र में खासे लोकप्रिय है। श्री छाबड़ा के समर्थकों के अनुसार यदि भाजपा उन्हें प्रत्याशी बनाती है तब वे मात्र सांकरा क्षेत्र से ही इतनी भारी भरकम लीड ले सकते हैं कि बसना पिथौरा में मिलने वाली बढ़त से काफी अधिक होगी, जिससे उनका सीट निकलना तय है।
इसके अलावा पुरन्दर मिश्रा भी भाजपा टिकट के लिए ताल ठोकते दिख रहे है। खासकर पुरन्दर मिश्र ब्राह्मण होते हुए भी उडिय़ाभाषी होने के कारण उनकी कोल्ता समाज में भी गहरी पैठ है, जिससे वे भाजपा के एक अच्छे प्रत्याशी साबित हो सकते हैं।

बहरहाल, चुनाव करीब आते ही उक्त सभी वर्ग के भाजपा नेताओं की क्षेत्र के कार्यक्रमों में भाग लेने एवं क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गयी है। अभी विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती प्रारम्भ ही हुई है इसके पहले से चुनावी बिसात बिछने लगी है। राजनीतिक दल अपने संगठन को एकजुट करने में जुटे हंै,  वहीं टिकट चाहने वाले अभी से टिकट निकालने वाली मशीन के चक्कर काटने लगे हंै।
 

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