महासमुन्द

छोटे टेमरी के जर्जर स्कूल भवन में न बच्चे, न शिक्षक: विभाग के फाइलों में स्कूल दुरुस्त, बच्चे भी पढ़ते हैं
23-Mar-2023 2:20 PM
छोटे टेमरी के जर्जर स्कूल भवन में न बच्चे, न शिक्षक: विभाग के फाइलों में स्कूल दुरुस्त, बच्चे भी पढ़ते हैं

दूसरे स्कूल के बच्चों का फोटो भेज शिक्षिका 3 सालों से वेतन ले रही

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 23 मार्च। यह महासमुंद जिले के बसना विकासखंड स्थित गांव छोटे टेमरी का स्कूल है। यह स्कूल तीन साल से बंद है। तीन साल से  इस जर्जर स्कूल भवन में ताला पड़ा हुआ है लेकिन शिक्षा विभाग की फाइलों में अब भी यह भवन दुरुस्त है, यहां स्कूल संचालित है और यहां बच्चे पढऩे भी आते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के पास इस जर्जर स्कूल में पढऩे आ रहे बच्चों का फोटो भी चस्पा है। लिहाजा यहां पदस्थ शिक्षक बकायदा वेतन आहरण कर रहे हैं।

 शिक्षा विभाग को जब इस बात की जानकारी मिली तो यहां के अधिकारी मामले की जांच की बात कह रहे हैं।  बसना ब्लॉक मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर छोटे टेमरी में यह प्राथमिक शाला भवन जर्जर हालत में खड़ा है। यहां 3 साल पहले बच्चों की संख्या शून्य होने के कारण ताला लगा दिया गया था। तालाबंदी के बाद भी 3 वर्षों से सरकारी कागजों में स्कूल संचालित है और यहां पदस्थ शिक्षिका का वेतन भी जारी हो रहा है। मामला प्रकाश में आने के बाद शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारी मामले की जांच का हवाला देकर मामले को रफ ा-दफ ा करने में लगे हंै।

जानकारी मिली है कि ताला लगाने के दौरान यहां एक शिक्षिका की ड्यूटी लगती थी। स्कूल बंद करने के बाद विभाग शिक्षिका की पदस्थि दूसरे स्कूल में करना भूल गए। विभाग की लापरवाही का शिक्षिका ने भी फायदा उठाया और विभाग के उच्च अधिकारों को दूसरे स्कूल के बच्चों का फोटो खींचकर भेजती रही। शिक्षिका का बकायदा अटेंडेंस भी रजिस्टर में होता रहा। उक्त शिक्षिका का वेतन भी हर माह का जारी होते रहा।

बिना अधिकारियों के मिलीभगत के यह कैसे संभव हुआ? इस सवाल को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो पाई। मामले में ग्राम के सरपंच बिसहत का कहना है कि स्कूल भवन काफ ी जर्जर हालत में हुआ तो बच्चों को दुर्घटना के डर से गांव वाले पड़ोस गांव के स्कूल में पढऩे भेजने लगे। इस स्कूल में जब कोई बच्चा पढऩे नहीं गया तो जर्जर मानकर विभाग ने भी यहां ताला जड़ दिया। तब यहां एक मैडम पढ़ाती थीं। तभी से गांव के सारे बच्चे आसपास गांवों में जाकर ही पढ़ते हैं। बहरहाल, मामला प्रकाश में आने के बाद आनन-फ ानन में शिक्षा विभाग के अधिकारी विभागीय जांच की बात कह रहे हैं।

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