रायपुर
खेड़ा मामले में 15 मिनट में कोर्ट गए थे, राहुल मामले में 24 घंटे में नहीं गए क्यों?
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 मार्च। राहुल गांधी की लोकसभा की रद्द हुई सदस्यता को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अरुण साव ने कहा कि इसमें भाजपा या केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। उनकी सदस्यता अदालत के फैसले के साथ ही प्रभावी हो गई थी, बस प्रक्रिया का पालन करते हुए उसे नोटिफाई करना था जिसे लोक सभा सचिवालय ने कर दिया ।राहुल की अनहर्ता में कांग्रेस पार्टी की भी भूमिका है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी खुद यही चाहती थी कि राहुल गाँधी की लोक सभा सदस्यता चली जाए। पवन खेड़ा वाले मामले में केवल 15 मिनट में कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट चली जाती है लेकिन राहुल मामले में लगभग 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक कांग्रेस पार्टी ने किसी भी अदालत में कोई अपील नहीं की।
साव ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान 13 अप्रैल 2019 को बेंगलुरु के पास कोलार में राहुल ने देश के ओबीसी समाज और तेली समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और उनके सरनेम को लेकर उनका अपमान किया था। इसको लेकर देश का ओबीसी समाज और तेली समाज काफी आक्रोशित था। अदालत के फैसले ने उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया है।
इन चार वर्षों में ऐसे कई मौके आये जब राहुल गाँधी ओबीसी समाज से माफी मांग कर इस मामले को ख़त्म कर सकते थे लेकिन अपने अहंकार में राहुल ने समाज और कोर्ट के द्वारा बार-बार समझाने और माफ़ी माँगने के विकल्प को भी नजऱअंदाज़ किया और लगातार ओबीसी समाज की भावना को ठेस पहुँचाई। राहुल ने पूरे ओबीसी समाज का अपमान किया। कल अदालत का फैसला आने के बाद भी राहुल और कांग्रेस नेता उस बयान को सही ठहराते रहे और अहंकार में डूबे रहे। सदस्यता उनके इसी अहंकार के कारण गई है। राहुल की सदस्यता उनके द्वारा देश के ओबीसी समाज के अपमान और माफी न मांगने के कारण गई है। वे अपने आप को देश से बड़ा समझने की भूल कर बैठे हैं।राहुल एक सीरियल ऑफेंडर हैं। वे पहले भी कई झूठी बातें बोल चुके हैं। राफेल मामले पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के बारे में ही झूठ बोल दिया था जिसके कारण उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी।
श्री साव ने कहा कानून सब के लिए बराबर है राहुल गांधी के लिए अलग से कानून और संविधान बनाया जाए?
राहुल गांधी पहले सदस्य नहीं जिनकी सदस्यता रद्द हुई इसलिए कांग्रेस नेता आरोप न लगाएं।