रायगढ़

नहीं थम रहा है जिले में हाथियों का उत्पात शाम ढलते ही चिंघाड़ से थर्रा जाते हैं गांव
27-Mar-2023 4:04 PM
नहीं थम रहा है जिले में हाथियों का उत्पात शाम ढलते ही चिंघाड़ से थर्रा जाते हैं गांव

डर के चलते लोग नहीं निकलते सडक़ों पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 27 मार्च।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में जंगली हाथियों का आतंक बदस्तूर जारी है। यहां के धरमजयगढ़ वन मंडल व रायगढ़ वन मंडल में बढ़ती जंगली हाथियों की संख्या स्थानीय लोगों के लिये भय व आतंक का पर्याय बन चुकी है। जिसे रोकने के लिये राज्य शासन ने अभी तक कोई ठोस योजना नही बनाई है। जिसके कारण हाथियों और मानव के बीच द्वंद्व के चलते कभी जंगली हाथियों के शिकार तो कभी जंगली हाथियों के द्वारा ग्रामीणों को दौड़ाकर कुचले जाने की घटना आम हो चली है। कहनें को तो सरकार की योजना में सहायता राशि प्रदान की जाती है लेकिन किसानों की लहराती फसल व उनके आशियाने तोडऩे के नाम पर मिलने वाली रकम इतनी कम है कि वे उससे एक वक्त का भोजन भी नही खरीद सकते तो घर या खेतों में होनें वाले नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे।

53 गांवों में फैला है जंगली हाथियों का आतंक
जिले के 53 से अधिक ऐसे गांव है जहां शाम ढलते ही सन्नाटा पसरा जाता है चूंकि जंगली हाथियों के अलग-अलग झुंड पानी व चारे की तलाश में निकलते हैं और इनमें से अपने दल से भटके दंतैल हाथी उत्पात मचाते हुए लोगों की जान लेने के साथ किसानों के खेतों में लगी फसलों को रौंदते हुए निकल जाते हैं। कभी कभी तो महुए की सुगंध से ये जंगली हाथियों का झुंड आदिवासी के घरों में भी घुसकर ऐसा उत्पात मचाते हैं कि उनके घर को तहस-नहस करके घर में रखे खाने के सामानों के साथ-साथ इक_ा किये गए महुये को खा जाते हैं। वन विभाग समय-समय पर मुनादी या अन्य संसाधनों के जरिये इनके झुंड पर नियंत्रण पाने की कोशिश तो करता है लेकिन सिमित संसाधनों से बढ़ते जंगली हाथियों की संख्या पर नियंत्रण नही रख पाने से इनके आतंक लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

खेतों की रखवाली करने से भी परहेज करते है ग्रामीण
वन विभाग की सूत्रों की मानें तो रायगढ़ वन मंडल में 18 गांव तो वहीं धरमजयगढ़ वन मंडल के 35 गांव हाथी प्रभावित हैं और यहां के लोग इन जंगली हाथियों से इस कदर परेशान हैं कि वे अब शाम ढलते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं इतना ही नही इनके घर से वे खेतों की रखवाली करने से भी परहेज करते हैं, चूंकि झुंड में आये जंगली हाथी खेतों के किनारे सोये लोगों को दौड़ाकर मार डालते हैं। इसका इतना असर है कि कई बार तो गांव वालों ने हाथियों के शिकार के लिये करंट प्रवाहित तार बिछाकर उनका शिकार भी किया है, जिसके चलते वन विभाग ने दर्जनों मामले किसानों के उपर दर्ज करके जेल भेजा है।

नही बनी है अभी तक कोई ठोस योजना
बहरहाल राज्य शासन द्वारा जंगली हाथियों के बढ़ते प्रभाव को कम करने के साथ-साथ उनके रहवास के लिये हाथी कारीडोर बनाने पर कोई ठोस योजना नही बनाई है और स्थिति यह है कि क्षेत्र में कटते जंगल तथा बढ़ते उद्योगों के कारण अब इन हाथियों का रूख सीधे गांव से शहर की तरफ भी होनें लगा है। जो कभी भी भयंकर रूप ले सकता है।

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