सरगुजा

छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को दिया अध्र्य, परिवार के खुशहाली की कामना
27-Mar-2023 6:55 PM
छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को दिया अध्र्य, परिवार के खुशहाली की कामना

घुनघुट्टा नदी एवं शंकर घाट में छठ व्रतियों ने की पूजा अर्चना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 27 मार्च।
सोमवार को छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देकर परिवार के खुशहाली एवं संतान के स्वास्थ्य लाभ, सफलता और दीर्घायु के लिए वरदान मांगा।अंबिकापुर नगर के शंकर घाट,घुनघुट्टा नदी के तट पर एवं नगर के अन्य तालाबों में सैकड़ों की संख्या में छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की। इस दौरान छठ घाटों में भक्तिमय माहौल रहा। छठ पर्व को लेकर पूरे नगर में भी उत्साह देखा गया।छठ व्रती मंगलवार को उगते हुए भगवान भास्कर को अध्र्य देकर पारण करेंगे एवं 36 घंटे के निर्जला उपवास को प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत तोड़ेंगे।

चैती छठ नवरात्रि के छठवें दिन मनाया जाता और इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। जबकि नहाय खाय के दिन देवी कूष्मांडा, खरना के दिन स्कंदमाता की पूजा की गई। छठ व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है, और मान्यता है कि नियमों का पालन करते हुए जो भक्त छठ माता की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं माता पूरी करती हैं।

शनिवार से नहाय खाय के साथ चैती छठ के पर्व की शुरुआत हुई है। खरना के दिन छठ माता की पूजा के लिए प्रसाद बनाने की परंपरा है, और इस पूरे दिन महिलाएं उपवास रखती हैं, और शाम के समय गुड़ चावल की खीर और रोटी बनाकर खरना किया। खरना का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। इस प्रसाद को व्रती महिलाएं सबसे पहले ग्रहण करती हैं और उसके बाद प्रसाद को परिजनों में बांट दिया जाता है। सोमवार को छठी व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अध्र्य दिया। 28 मार्च को उदयमान भगवान भास्कर को अध्र्य देंगे, इसी के साथ चार दिन का छठ पर्व समापन हो जाएगा।

मान्यता है कि छठी मइया का पवित्र व्रत रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही सारे दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है।

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