बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 मार्च। जिले में कुपोषण दर में कमी लाने बुधवार को जिला पंचायत कार्यालय के सभागार में यूनीसेफ के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
पो_ लईका अभियान अन्तर्गत जिले में कुपोषण दर में कमी लाने बुधवार को जिला पंचायत कार्यालय के सभागार में यूनीसेफ के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में अनुविभागीय अधिकारी (रा.) बेमेतरा सुरुचि सिंह, महिला बाल विकास विभाग के कर्मचारी सहित मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका उपस्थित थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनीसेफ छत्तीसगढ़ से आए डॉ. भारती साहू ने सभी मितानीन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं को कुपोषण के लक्षण एवं कुपोषण को दूर करने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हमें उस समय पर ध्यान देना चाहिए जब बच्चा ठोस आहार खाना शुरू करता है क्योंकि उस समय में कुपोषण की संभावना अधिक होती है। इसलिए माताओं को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से खुद को और बच्चों को बचाने के उपाय भी बताए। थाली में तिरंगे का रंग होना सफेद चावल, दूध और अंडे के लिए है, हरा रंग हरी सब्जियों के लिए है और केसरिया या पीला दाल, छोले, सोयाबीन, मांस आदि के लिए है। सिर, बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथ धोने और भोजन करने से पहले हाथ धोने के महत्व के बारे में भी बताया गया।
मिड-डे-मील योजना (एमडीएम) स्कूल जाने वाले बच्चों की देखभाल करती है, पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी में माताओं और बच्चों को खाने के लिए गर्म भोजन परोसा जाता है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत अंडे और केले का भी वितरण किया जा रहा है। बेमेतरा जिले ने पो_ लाइका अभियान की शुरुआत की है। पायलट प्रोजेक्ट में बेमेतरा अनुभाग के 40 गांवों को कवर किया जाएगा। मुख्य उद्देश्य जिले में कुपोषण को खत्म करना (गंभीर तीव्र कुपोषण बच्चों की संख्या को शून्य करना) है।
इस मिशन के तहत होने वाली गतिविधियां
प्रत्येक शुक्रवार महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग व बिहान के कार्यकर्ता उक्त 40 गांवों के एक-एक घर में जाकर बच्चों के माता-पिता को समझाएंगे कि क्या खाएं और कब खाएं, उन्हें तिरंगा भोजन के बारे में बताया जाएगा, खाना खाने से पहले हमेशा हाथ धोना चाहिए, रेडी-टू-ईट कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और अपने बच्चों को दिन में कम से कम 3 बार कैसे खिलाना चाहिए। वे उन्हें जंक फूड को ना कहने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगे और प्रोटीन (अंडे, दूध, मांस, मछली, दाल, सोयाबीन आदि) के महत्व को भी समझाएंगे।