कोण्डागांव

38 साल पुरानी पंचवटी देखरेख के अभाव में जर्जर, कॉटेज का हाल बेहाल
30-Mar-2023 9:12 PM
38 साल पुरानी पंचवटी देखरेख के अभाव में जर्जर, कॉटेज का हाल बेहाल

प्रकाश नाग

केशकाल, 30 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। प्राकृतिक सौंदर्यता व मनोरम दृश्यों के चलते समूचे प्रदेश भर में मशहूर केशकाल का पंचवटी लम्बे समय से देखरेख के अभाव में अब वीरान होता जा रहा है। वन विभाग द्वारा पंचवटी के एक भाग में सौंदर्यीकरण के रूप में कुछ कार्य जरूर करवाए गए हैं, लेकिन सम्पूर्ण पंचवटी के जीर्णोद्धार को लेकर विभाग की ओर से अभी तक किसी प्रकार की योजना नजर नहीं आ रही है। परिणामस्वरूप वर्षों पहले बनाए गए कॉटेज अब जर्जर हो गए हैं। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं भी हैं। वर्तमान में पुन: वन विभाग द्वारा पंचवटी में सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू किया गया है। लेकिन इसमें भी पौधरोपण के नाम पर महज़ खानापूर्ति की जा रही है। 

इस संबंध में केशकाल वनमण्डलाधिकारी गुरुनाथन एन. ने बताया कि पंचवटी की सुंदरता बढ़ाने के लिए हमने रेस्ट हाउस के समक्ष गार्डन बनवाया है, साथ ही वॉच टावर का मरम्मत भी करवाया जा रहा है। पंचवटी में दूसरी ओर कुछ कॉटेज बने हुए हैं, वह पर्यटन विभाग के अंतर्गत आते हैं। जल्द ही पर्यटन व राजस्व विभाग से बात कर उसका मरम्मत भी करवाया जाएगा।

ज्ञात हो कि सर्पिलाकार मोड़ों से सुसज्जित केशकाल घाटी के ठीक ऊपर केशकाल का पंचवटी जो कि समुद्रतल से 680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वर्ष 1985 में पंचवटी के निर्माण कार्य की नींव रखी गई थी। तत्पश्चात वर्ष 1985 में अविभाजित मध्यप्रदेश के राज्यपाल के.एम चंडी व तत्कालीन विधायक शिव नेताम के द्वारा पंचवटी का उद्घाटन किया गया था। पंचवटी शुरुआत से ही अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। 

पहले राजधानी से बस्तर आने वाले लगभग सभी नेता, मंत्री व अधिकारी कुछ देर पंचवटी में जरूर रुकते थे, लेकिन वर्ष 2008 में सीआरपीएफ पूरे पंचवटी में काबिज हो गई। फिर देखरेख व संरक्षण के अभाव में पंचवटी जर्जर होता गया, साथ ही सभी कॉटेज भी खण्डहर में तब्दील हो गए।

आज भी पंचवटी के एक हिस्से में सीआरपीएफ काबिज, आमजनता के लिए प्रतिबंध
     
सीआरपीएफ द्वारा काबिज होने के कारण लगभग 10 वर्षों तक सुरक्षा की दृष्टि से आमजनता के आवागमन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन वर्ष 2018 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो केशकाल विधायक संतराम नेताम व स्थानीय लोगों की मांग पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पंचवटी को तत्काल खाली करवाने आदेशित किया। जिसके बाद पंचवटी के एक हिस्सा को स्थानीय लोगों के लिए खोल दिया गया था, लेकिन आज भी पंचवटी के दूसरे हिस्से में सीआरपीएफ काबिज है। 

आम जनता के लिए पंचवटी को दोबारा खोलने के पांच वर्ष बाद भी अब तक वन विभाग ने इसके जीर्णोद्धार को लेकर किसी प्रकार की कार्ययोजना नहीं बनाई है। समय समय पर सौंदर्यीकरण जरूर करवाया जा रहा है, लेकिन आम जनता का मानना है कि अब पंचवटी में पहले जैसी बात नहीं रही।

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